9920796787****रवि रश्मि 'अनुभूति '
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दोहा छंद
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प्रदत्त शब्द ----
पताका , मित्रता , आरोप , कामिनी , अपराधी , गुलाब , लगन , महिला , हृदय , अपरिचित ।
1 ) पताका
प्रेम पताका तो सदा , फहराओ तुम मीत ।
ऊँची जितनी ही उड़े , होगी उतनी जीत ।।
2 ) मित्रता
कान्हा ने की मित्रता , निभाई दिवस रात ।
सुदामा बने थे सखा , भात दिये सौगात ।।
3 ) आरोप
आरोप लगा गोपियाँ , कहें चोर है श्याम ।
घबराये कान्हा नहीं , भले करें बदनाम ।।
4 ) कामिनी
भले बनी है कामिनी , रूप सौंदर्य धार ।
मोहित कान्हा देखते , नैनन बने कटार ।।
5 ) अपराधी
अपराध करो मान लो , पापी मन यह जान ।
सच्चे होते जो सदा , पाते हैं पहचान ।।
6 ) गुलाब
कोमल हृदय गुलाब सा , गुलाब सी हो आब ।
ख़ुशबू उठे गुलाब सी , उसका नहीं जवाब ।।
7 ) लगन
बिना लगन न ईश मिले , जपो राम का नाम ।
पहुँचोगे हरि धाम ही , दुनिया से क्या काम ।।
8 ) महिला
महिला मन है बावरा , सहनशील गंभीर ।
विचलित मन होता नहीं , रखे सदा ही धीर ।।
9 ) हृदय
बसते मन में मोहना , रखे सदा ही ध्यान ।
बात - बात में दे रहे , हँसी हँसी में ज्ञान ।।
10 ) अपरिचित
अपरिचित संग सदा ही , तोल मोल के के बोल ।
चाहे कोई भी रहे , भेद न दिल के खोल ।।
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(C) रवि रश्मि 'अनुभूति '
29.1.2021 , 9:30 पीएम पर रचित ।
मुंबई ( महाराष्ट्र ) ।
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🙏🙏समीक्षार्थ व संशोधनार्थ ।🌹🌹
31.1.2021 .
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