डॉ. राम कुमार झा निकुंज

 दिनांकः ०९.०१.२०२१

दिवसः शनिवार

विधाः गीत

विषयः आओ   बढ़कर    कदम   बढ़ाएँ।

          मंजिल     हमें    पुकार    रही  है। 

शीर्षकः आओ   बढ़कर    कदम   बढ़ाएँ।

                  

हो मनुज जन्म भुवि तभी सफल 

आओ   बढ़कर    कदम   बढ़ाएँ।

नीति   प्रीति  नवनीत   मीत  बन  

राष्ट्र    प्रगति   नित   राह  बनाएँ।

                  आओ   बढ़कर    कदम   बढ़ाएँ।

                   मंजिल     हमें   पुकार    रही  है।

धीरज साहस सम्बल रखकर,

सद्मार्ग  खुला  जीवन्त बनाएँ।

आएँगी   बहुविध      बाधाएँ,

मिलकर पाषाणों  से टकराएँ।

                  आओ बढ़कर कदम बढ़ाएँ,

                  मंजिल   हमें  पुकार रही  है।

आते   हैं  दुर्गम  पथ  जीवन ,

संकल्पित हम  कदम बढ़ाएँ।

एकनिष्ठ  उद्देश्य  पथिक बन

मति   विवेक  से राह  बनाएँ।

               आओ बढ़कर कदम बढ़ाएँ,

               मंजिल   हमें  पुकार रही  है।

निर्माण   नवल  नित वर्तमान,

बस  सदाचार आदर्श  बनाएँ।

विश्वास  करें निज पौरुष बल

सुसंस्कार  जीवन    अपनाएँ।

               आओ बढ़कर कदम बढ़ाएँ,

               मंजिल   हमें  पुकार रही  है।

अटल  लक्ष्यपथ  यायावर बन,

दरिया  वन  गिरि  राह  बनाएँ।

तजे   नहीं   धर्मार्थ   कर्म पथ,

दृढ़ संकल्प ध्येय कदम बढ़ाएँ।

                  आओ बढ़कर कदम बढ़ाएँ,

                  मंजिल   हमें  पुकार रही  है।

स्वावलम्ब  हो  जीवन   दर्शन,

स्वाभिमान  मानक   अपनाएँ।

साथ  चलें    रणभेदी  निर्भय,

राष्ट्रभक्ति   मन शक्ति  बनाएँ।

                  आओ बढ़कर कदम बढ़ाएँ,

                  मंजिल   हमें  पुकार रही  है।

सत्कार्य  करें   परमार्थ   भाव,

प्रेरक   पथ    सत्संग    बनाएँ।

जाति   धर्म    निर्भेद  रहे  हम,

भारत माँ    जयगान    सुनाए।

                  आओ बढ़कर कदम बढ़ाएँ,

                  मंजिल   हमें  पुकार रही  है।

विश्वास  हृदय साफल्य लक्ष्य,

इच्छाशक्ति   हृदय     जगाएँ।

जनसेवा   बन  जीवन  दर्पण,

कठिन   परिश्रम  मीत बनाएँ,

                  आओ   बढ़कर    कदम   बढ़ाएँ।

                  मंजिल     हमें    पुकार    रही  है। 

आओ  मिलकर  करे सामना,

पथ  आँधी  तूफ़ान     भगाएँ।

हर विप्लव भूकम्प जलजला,

भेद   विपद  नव  राह  बनाएँ।

                  आओ    बढ़कर    कदम   बढ़ाएँ।

                  मंजिल     हमें    पुकार    रही   है। 

निर्माण  युवा  स्वर्णिम  भविष्य, 

सुनहर     हम   अतीत   बनाएँ।

लिख देश  भाल सुकीर्ति धवल,

वर्तमान   सुखद   स्वर्ग  बनाएँ।

                   आओ   बढ़कर    कदम   बढ़ाएँ।

                   मंजिल     हमें    पुकार    रही  है। 

आन   बान  सम्मान   भारती ,

विश्वश्रेष्ठ      गणतंत्र    बनाएँ।

अरुणाभ खुशी मुस्कान अधर,

अभिलाषा    नवदीप  जलाएँ।

                     आओ    बढ़कर    कदम   बढ़ाएँ।

                     मंजिल     हमें    पुकार    रही  है। 

शौर्य वीर    रण विजयी  बन,

ध्वजा  तिरंगा  मिल  लहराएँ।

शस्य   भरा  हरियाली वसुधा,

आओ   सत्पथ कदम बढ़ाएँ।

                       आओ   बढ़कर    कदम   बढ़ाएँ।

                       मंजिल     हमें    पुकार    रही  है। 

हम   साथ  रहें हम साथ चलें,

राह  कँटिल  हम सुगम बनाएँ।

जय किसान विज्ञान सैन्यबल,

नव गाथा  भारत  रच     पाएँ।

                        आओ   बढ़कर    कदम   बढ़ाएँ।

                        मंजिल     हमें    पुकार   रही   है। 

राष्ट्रवादी कवि✍️

डॉ. राम कुमार झा "निकुंज"

रचनाः मौलिक(स्वरचित)

नवदिल्ली

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