सुनीता असीम

 बनी ज़िन्दगी आज जंजाल है।

किए जा रही सिर्फ बेहाल है

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समय भी बदलता चला जा रहा।

कि इसकी बदलती रही चाल है।

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सभी का हुआ हाल ऐसा बुरा।

ये जानें कई ले गया साल है।

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नहीं आर्थिक हाल अच्छा रहा।

खजाना हुआ अपना बदहाल है।

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ये मकड़ी सरीखा करोना हुआ।

जिधर देखिए इसका ही जाल है।

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सुनीता असीम

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