एस के कपूर श्री हंस

 *।।रचना शीर्षक।।*

*।।बनो बीज कि दब भी गये तो*

*फिर उग जायो तुम।।*


दब जायो मिट्टी   में फिर भी

बीज से उग आओ तुम।

गिर जायो फिर  भी   संभल

कर उठ    आओ   तुम।।

बनो कोई ऐसी इक   नायाब

सी     तस्वीर       तुम।

मिट जायो फिर  भी     वैसी

ही  उकर आओ  तुम।।


आदमी    खोकर   भी जरूर

कुछ    सीखता     है।

व्यक्ति मुसीबत से  होकर भी

कुछ    सीखता     है।।

अंधेरा नहीं ज्यादा रोशनी भी

बनाती    है       अंधा।

हार के बाद   रोकर  भी बहुत

कुछ    सीखता     है।।


आज है जिंदगी  और कल  भी

रहेगी     ये     जिंदगी।

हर मुश्किल    का    हल     भी

रहेगी      ये    जिंदगी।।

जिन्दगी गर सवाल   तो  जवाब

भी है       ये जिन्दगी।

व्यक्ति की कमजोरी पर बल भी

रहेगी    ये     जिंदगी।।


वही होते    ऊंचे    जो  प्रतिशोध 

नहीं परिवर्तन सोचते हैं।

तोड़ते नहीं टूट      कर   फिर भी

खुद   को  जोड़ते    हैं।।

रंगों को       निखरने   के     लिए

पड़ता    है     बिखरना।

वही जीतते   हैं     जो  जीवन को

सही दिशा में मोड़ते हैं।।


*रचयिता।।एस के कपूर श्री हंस*

*बरेली।।*

मोब।।।          9897071046

                     8218685464

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