सद्गति (दोहे)
सद्गति मिलती है तभी,जब हो सुंदर चाल।
सत्कर्मों से ही सहज,विपदाओं को टाल।।
सद्गति -शुभगति क्षितिज ही, इस जीवन का लक्ष्य।
सहज सुखद परिणाम ही, सद्गति का है तथ्य।।
मुक्ति मंत्र के जाप में, सद्गति की है राह।
सद्गति पाने के लिये, रखो मोक्ष की चाह।।
कर्म करो निष्काम हो, यह सद्गति की नीति।
सत्य आचरण में छिपी, सद्गति की है रीति।।
धर्मयुधिष्ठिर बन निकल, करना धर्म प्रचार।
इसी पंथ से है जुड़ा, प्रिय सद्गति का तार।।
इसी अवस्था के लिये, रहना सतत सचेत।
सद्गति पाता वह नहीं,जो रहता निश्चेत।।
सद्गति सुंदर भाव का, सत्य दिव्य परिणाम।
सद्गति मधुर स्वभाव का, अति शीतल है नाम।।
रचनाकार: डॉ० रामबली मिश्र हरिहरपुरी
9838453801
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