एस के कपूर श्री हंस

 *।।रचना शीर्षक।।*

*।।चार दिन की चांदनी,खत्म सब*

*बात है।रह जाती जहाँ में, तेरे कर्मों*

*की सौगात है।।*

एक शब्द मन्त्र   और  एक 

शब्द गाली हो   जाता    है।

अपनी बोलचाल से व्यक्ति

मवाली      हो    जाता   है।।

शरीर और     मन की   भी 

इक     भाषा अलग  होती।

खो जाये यकीं गर आदमी

तब सवाली हो  जाता   है।।


हमेशा  प्रभु   की   कृपा  में

आप अपनी आस्था रखिये।

किस्मत में  कम  और  कर्म

से ज्यादा   वास्ता     रखिये।।

रहोगे काम    में   मगन  तो

कुछ बुरा       सोचोगे   नहीं। 

हर मुश्किल से निकलने का

जरूर   इक   रास्ता  रखिये।।


रुक  जाती   श्वास       फिर

ये  ठाठ   खत्म हो जाता है।

एक दिन   जाकर    जीवन

घाट पर   खत्म हो जाता है।।

याद रखो जीता    हुआ भी 

हार जाता        अहंकार से।

बनाकर रखो यूँ सब साहब

लाट  खत्म   हो     जाता है।।


चार दिन की चांदनी    फिर

तो बस    अंधेरी    रात   है।

इस जहान      में रह  जाती

बस तेरे    कर्मों की बात है।।

ज्ञान और नम्रता मिल   कर

बन     जाते हैं          अमृत।

यूँ ही जीना   जीवन   मिली

जिसकीअनमोल सौगात है।।

*रचयिता।।एस के कपूर "श्री हंस"*

*बरेली।।।*

मोब।।            9897071046

                     8218685464

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