धर्म क्षेत्र। (चौपाई)
धर्म क्षेत्र अतिशय व्यापक है।
सकल विशुद्ध क्रिया-वाचक है।।
अति संवेदनशील धरातल।
सात्विक भाव प्रधान अटल तल।।
कर्म प्रधान विश्व की रचना।
कर्म फलद यह शिव की वचना।
सुंदर सात्विक कर्म युधिष्ठिर।
दुर्योधन दूषित अति दुष्कर।।
धर्म क्षेत्र में सत्य-असत्या।
सत्य विजयश्री राक्षस हत्या।।
पाण्डव करता सदा धर्म है।
दुर्योधन करता अधर्म है।।
सीखो धर्म युधिष्ठिर बनकर।
धर्म क्षेत्र को अति पुनीत कर।।
धर्म क्षेत्र को पावन करना।
सत्य अहिंसा प्रेम वरतना।।
न्याय पंथ पर कदम बढ़ाना।
मानवता का पाठ पढ़ाना।।
सबके प्रति सम्मान भाव हो।
धर्म क्षेत्र का शुभ प्रभाव हो।।
रचनाकार:डॉ०रामबली मिश्र हरिहरपुरी
9838453801
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