*मधु के मधुमय मुक्तक*
🌷🌷🌷🌷🌷🌷
*06/01/2021*
🌹🌹 *हिन्दी*🌹🌹
-------------------------------
◆ हिन्दी भाषा का करो, हिय से सब सम्मान।
देवनागरी लिपि बनी, सहज व्यवस्थित जान।
अक्षर से ही शब्द है, शब्द व्यवस्थित वाक्य,
हिन्दी मर्यादित रही, माने सकल जहान।।
◆ हिन्दी का उद्भव हुआ, मातु संस्कृत मूल।
सत्य सनातन धर्म है, शोभित सुंदर फूल।
वाणी में अति सरल है, व्याकरणिक संज्ञान,
तिरस्कार जब मातु का, फूल मिले तब धूल।।
हिन्दी भाषा ने दिया, बहु विस्तृत साहित्य।
कथा कहानी महाकाव्य ही, भाषा का आदित्य।
भाषा का रस छंद से, सजा धजा है रूप,
अलंकार शोभा बना, अक्षर करते नृत्य।
हिन्दी का सम्मान हो, जीवन का यह मंत्र।
नये सुधारों से सजा, व्याकरणिक यह तंत्र।
हिन्दी को अपनाओ सब, स्वयं बढ़ाओ मान।
निज भाषा ही देश की, उन्नति का है मंत्र।।
*मधु शंखधर स्वतंत्र*
*प्रयागराज*
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें