आजादी की खातिर व्याकुल रहे सदा बेकरार।हिन्द फौज बना डाली किया अचम्भित वार।।
हिन्दुस्तान की धरा पर नेता जन्मे एक से एक।
पर इन नेताओं की भीड़ में बोस रहे बस एक।।
बोस रहे बस एक जग में क्षितिज तक भाये।
सुभाष चंद्र बोस ही बस नेताजी बन पाये।।
आजादी की युद्ध में नारों की भरमार ।
नारा दिया 'दिल्ली चलो' बोस बुलाया यार।।
बोस तुम्हारी देश भावना रही बहुत ही न्यारी।
जयहिंद का डंका बजा दौड़े सब नर-नारी।।
दौड़े सब नर-नारी अंग्रेजों की नींव हिलादी।
दे नारा तुम मुझे खून दो मैं तुम्हें दूं आजादी।।
- दयानन्द त्रिपाठी व्याकुल
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