भक्तिन माता राजिम की जय
हे मां राजिम, हे मां कर्मा
बन जा मेरा सहारा
डगमगा रही हैं,मेरी नैय्या
नहीं है कोई खेवैया
हे मां राजिम, हे मां कर्मा
बन जा मेरा सहारा
तू ही दुर्गा,तू ही काली
तू ही खप्पर वाली है मां
तेरी महिमा न्यारी है मां
तू ही है,जगत जननी
हे मां राजिम, हे मां कर्मा
बन जा मेरा सहारा
भूल गया था,सांसारिक सुख लोभ में
न्यौछावर है,मस्तक तेरे चरणों में
हे मईया, लागौ तोर पईया
बन जा मेरा सहारा
हे मां राजिम, हे मां कर्मा
बन जा मेरा सहारा
मै तेरा लाल हूं, मां
तू मुझे भूल न जाना
कैसा भी हू,तेरा ही संतान हूं
अपनी आंचल में छुपा लेना
हे मां राजिम, हे मां कर्मा
बन जा मेरा सहारा
फिर से तुझे पुकारा हूं, मां
अवतार लेकर,आ जा
भूला हूं मैं,भटका हूं मैं
मेरा कोई नहीं हैं जहान में
अपने जीवन की डोर मईया
कर दी,तेरे हवाले
हे मां राजिम, हे मां कर्मा
बन जा मेरा सहारा
डगमगा रही है,मेरी नैय्या
नहीं है कोई खेवैया
नूतन लाल साहू
सब्र ही श्रेष्ठ है
जो लोग सब्र करते हैं
या तो वो जीत जाते हैं
या सीख जाते है
माया के नशे में,अपना जीवन न गंवाये
बिना ज्ञान हर कोई,धोखा ही खाया
सब्र,ज्ञान का इक ऐसा अमृत धारा है
उससे बेहतर न कहीं देखा है
और न ही कहीं पाया है
जो लोग सब्र करते हैं
या तो वो जीत जाते हैं
या सीख जाते हैं
दाता तो तेरा,प्रभु श्री राम जी है
फिर क्यों तुझे,दुनिया का डर है
जीवन की डोर,अब तो कर दो
प्रभु जी के हवाले
झूठा है, ये संसार
झूठा सब माया जाल है
प्रभु जी का शरण ही सार है
बाकी सब जंजाल है
सत ज्ञान बिना,नर भटकत है
क्या मथुरा,क्या काशी
जो लोग सब्र करते हैं
या तो वो जीत जाते हैं
या सीख जाते हैं
खुद ही खुद को पहचानो
तुम हो ईश्वर का अंश
उलझी हुई हैं,तेरी जिंदगी
सब्र करो,सज जायेगा
मझधार में हो,जब तेरी नैय्या
सब्र ही पतवार बन जायेगा
जो लोग सब्र करते हैं
या तो वो जीत जाते हैं
या सीख जाते हैं
नूतन लाल साहू
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें