निशा अतुल्य

 *श्री गणेशाय नमः*

*कान्हा मनुहार*

मनहरण घनाक्षरी

8,8,8,7 वार्णिक विधा

15.1.2021


राधा जी निहारे बाट ,

कान्हा जी आएँगे आज ।

थके नैन राह देखें

कान्हा कहाँ जाइए ।।


पंछियों के कलरव,

हर ओर करें शोर ।

कान्हा तुम गए कहाँ,

अब चले आइए ।।


मुरली की बजे तान,

गोपियों के जाए जान।

वृषभान लल्ली कहे,

लीला अब रचिए ।।


छुप छुप कान्हा डोले,

राधा जी के नैन बोले ।

कान्हा तू सताए काहे,

जरा कुछ कहिए ।।


स्वरचित 

निशा"अतुल्य"

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