सुनीता असीम

 हम  आपके ही प्यार में लाचार हो गए।

दिल हार बैठे अपना औ बेकार हो गए।

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अपना बना लो श्याम नहीं देर अब करो।

सांसों की आप माला के आधार हो गए।

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चितचोर चोर आप हो इल्जाम दो हमें।

मासूम तुम बने हम खतावार हो गए।

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नज़रे करम जो आपका मुझपर हुआ कभी।

तब स्वप्न मेरे सारे ही साकार हो गए। 

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देखा जो नेह दृष्टि से तुमने ओ माधवा।

उस वक्त से ही हम तेरे बीमार हो गए।

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आसान तो नहीं कि भुला दें उन्हें कभी।

हम दास बन गए वो सरकार हो गए।

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तुम बिन अधूरी आज सुनीता है सांवरे।

उसके लिए तो दर्श ही दरकार हो गए।

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सुनीता असीम

२३/१/२०२१

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