एस के कपूर श्री हंस

।कंही तेरी कहानी अनकही न*

*रह जाये।।*


देख लेना    कहीं  अनकही तेरी

अपनी   कहानी न रहे।

रुकी सी बीते      जिन्दगी     में 

कोई   रवानी न    रहे।।

जमीन और   भाग्य  जो   बोया

वही    निकलता    है।

अपने स्वार्थ के   आगे    किसी

और पे मेहरबानी न रहे।।


दुखा कर दिल किसी का  कभी

कोई सुख पा नहीं सकता।

कपट विद्या से किसी  का कभी

दुःख भी जा नहीं सकता।।

पाप का घड़ा भरकर  एक दिन 

फूटता          जरूर     है।

बो कर बीज  बबूल   के   कभी

आम कोई ला नहीं सकता।।


कल की चिंता   मत कर तू जरा

आज  को भी संवार    ले।

मत डूबा रहे स्वार्थ में कि समय

परोपकार में भी गुजार ले।।

अपने कर्मों का निरंतरआकलन

तुम हमेशा     करते रहो।

प्रभु ने भेजा धरती पर तो  जरा

जीवन का कर्ज उतार ले।।


*रचयिता।।एस के कपूर "श्री हंस"*

*बरेली।।*

मोब।।             9897071046

                      8218685464


*।।नारी,प्रभु का उपहार।*

*पत्नी माँ बहन बेटी,त्याग* 

*अपरम्पार।।*

*।।विधा।।हाइकु।।*

1

है रचयिता

सृष्टि रचनाकार

मूर्ति ममता

2

पालनहार

है बच्चों की शिक्षक

देवे  आहार

3

आँगन पुष्प

बच्चों पे जान फिदा

न होये रुष्ट

4

ठंडी बयार

त्याग के लिए सदा

रहे तैयार

5

शक्ति स्वरूपा

परिवार संसार

ममता रूपा

6

त्याग की भाषा

माँ बेटी परिभाषा

न अभिलाषा

7

प्रेम का प्याला

घर आये संकट

बने वो ज्वाला

8

प्रेम गागर

जगत जननी है

भक्ति सागर

9

नारी अव्यक्त

ब्रह्मांड समाहित

ऐसी सशक्त

10

है अहसास

नारी बहुत खास

है आसपास

11

नारी प्रकाश

अंधेरा    दूर करे

सृष्टि सारांश

12

रूप अनेक

माँ बेटी पत्नी बने

प्रभु सी नेक

13

मूरत लज़्ज़ा

त्याग का मूल्य नहीं

सृष्टि की सज़्ज़ा

14

नारी पावन

घर का आँगन ही

मन भावन

15

माँ का आँचल

बहुत सुखदायी

भुलाये छल

16

नारी नरम 

सुन कर सबकी

न हो गरम

17

शर्म गहना

चाहे माँ पत्नी बेटी

या हो बहना

18

आज की नारी

सारे कार्य करे वो

यात्रा है जारी

*रचयिता।।एस के कपूर "श्री हंस"*

*बरेली।।।*

मोब।।           9897071046

                     8218685464

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