एस के कपूर श्री हंस

 *।।रचना शीर्षक।।*

*।।कल का सुंदर संसार,मिलकर आज ही संवार।।*


यदि बनाना है कल अच्छा तो

करो   आज    तैयारी।

यदि पहुंचना मंजिल  पर कल

तो करो आज  सवारी।।

भविष्य का निर्माण प्रारंभ  ही

वर्तमान से     होता है।

यदि रहना है कल को खुश तो

करो दूर आज बीमारी।।


तुम्हारी हर बात में हमेशा कुछ

गहराई होनी चाहिये।

तुम्हारे काम   में सदा  ही कुछ

भलाई होनी चाहिये।।

सुधार करते रहो हर गलती का

भी     तुम   साथ में।

टूटे रिश्तों   की भी   हमेशा से

तुरपाई होनी चाहिये।।


जीवन प्रभु का   दिया       एक

अनमोल सा उपहार है।

मूल उद्देश्य इसका रखना सबके

ही  साथ   सरोकार है।।

एक ही मिला है जीवन जो फिर

मिलेगा    न     दुबारा।

यही हो भावना कि सम्पूर्ण विश्व

एक ही तो परिवार है।।


मिलकर बनायों संसार जिसमें

बस अमन चैन सुख हो।

बस जाये ऐसा  भाई  चारा कि

किसी को न   दुःख  हो।।

भाषा संस्कार संस्कृति सबका

ही  होता रहे     संवर्धन।

दुनिया न   कहलाये    कलयुग

बस कल का ही युग हो।।

*रचयिता।।एस के कपूर "श्री हंस"*

*बरेली।।।*

मोब।।।          9897071046

                    8218685464

*कलयुग ।।  कल्कि काल।। खराब युग*


*कल  युग ।।आधुनिक मशीनी युग(कल पुर्जे)*

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