नूतन लाल साहू

 संघर्ष


संघर्ष,प्रकृति का आमंत्रण है

जो स्वीकार करता है

वहीं आगे बढ़ता है

लम्बा है रास्ता, जिन्दगी का

लक्ष्य है,अति दूर

खाई कुंए से बचकर

जाना है, अकेला

दुनिया खोंटी,बड़ी रंगीली

देख तू, धोखा न खाना

चलती स्वांस,हवा का झोंका

इत आया, उत जाना है

पानी की, बुलबुले सी

तेरी जिंदगानी है

श्री राम और श्री कृष्ण जैसा भी

यहां कोई रह न पाया है

अच्छे कर्मो से तूने

मानुष देह पाया है

चार दिन की चमक चांदनी

फिर अंधेरी रात यहां

उसका जीवन भी जीना है,क्या

जिसके जीवन में,संघर्ष नहीं रहा

महाराणा प्रताप का संघर्ष

अमर हो गई गाथा

संघर्ष,यदि आदत बन जाए

तो कामयाबी,मुकद्दर बन जाती हैं

संघर्ष शील व्यक्ति,जब हंसता है

तो दूसरों को भी,हंसा देता हैं

और जब वो,रोता है

तो दूसरों को भी,रुला देता हैं

संघर्ष,प्रकृति का आमंत्रण है

जो स्वीकार करता है

वहीं आगे बढ़ता है


नूतन लाल साहू

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