डॉ० रामबली मिश्र

 एक बार मेरा कहा मान लीजिये


बुला रहा है दोस्त कोई जान लीजिये।

एक बार मेरा कहा मान लीजिये।।


वफा निभाने में बहुत माहिर है वह मनुज।

इंसान इक महान को पहचान लीजिये।।


वादा निभाता हर समय बेरोक-टोक के।

दृढ़प्रतिज्ञ दोस्त को स्वीकार कीजिये।।


प्रेम का प्रारूप वह मानव महान है।

आँखे घुमाकर एकबार देख लीजिये।।


प्रेम प्राणिमात्र से  करता सदा से है।

दोस्त के पैगाम को मुकाम दीजिये।।


रचनाकार:डॉ०रामबली मिश्र हरिहरपुरी

9838453801


तुझको मेरा प्यार बुलाता  (सजल)


आओ मैं इक बात बताता।

तुझको मेरा प्यार बुलाता।।


विछड़ गये हो रहा में इक दिन।

मुझको मेरा प्यार सताता।।


कैसा यह संयोग दुःखद था।

मिला मिलन को धता बताता।।


किस्मत का है खेल अनूठा।

नहीं भाग्य में जो चल जाता।।


कितना है बलवान समय यह।

अपना बल-पौरुष दिखलाता।।


किस्मत में थी दुसह वेदना।

फिर कैसे नित रास रचाता।।


राह पूछते चल आना तुम।

तुझको मेरा प्यार बुलाता।।


अर्थ प्यार का अद्वितीय प्रिय।

मुझको तेरा प्यार सताता।।


दृढ़ विश्वास हृदय में बैठा।

श्रद्धा से सब कुछ मिल जाता।।


यहीं सोचकर जप करता हूँ।

ध्यानी-योगी सब पा जाता।।


मन से मिलन सहज संभव है।

निराकार तन भी मिल जाता।।


निराकार में सगुण तत्व भी।

सारा भेद-भाव मिट जाता।।


निहित सोच में सुख-विलास है।

पावन चिंतन मेल कराता।।


मिलना तय है नहिं कुछ शंका।

यही भाव हर्षित कर जाता।।


छिपा हर्ष में प्रिय का मिलना।

प्रमुदित मन में प्रिय बस जाता।।


मन में जो है साथ वही है।

मन से प्यार दिव्य मिल जाता।।


मन से प्यार करो अब वन्दे।

मन में छिपा प्यार दिख जाता।।


मन को परिधि क्षितिज का जानो।

मन से "प्यार" नाम मिल जाता।।


किसी बात की मत चिंता कर।

तप करने से प्रिय मिल जाता।।


तपते रहना सीख लिया जो।

वह सर्वोत्तम प्रियवर पाता।।


रचनाकार:डॉ०रामबली मिश्र हरिहरपुरी

9838453801

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