वक्त मतदाता का है किस तरह काटें - दयानन्द त्रिपाठी व्याकुल

 वक्त मतदाता का है?


चुप रहें या बोलकर डांटें,

वक्त मतदाता का है किस तरह काटें।।


क्या कहें? कब कहें? किससे कहें?

कुछ कथ्य भी तो होना चाहिए

बात में सब बात मतदाता की है 

कोई तथ्य भी तो होना चाहिए ।


रश्मि खोजें तिमिर में बांटें,

वक्त मतदाता का है किस तरह कांटें।।


   कुर्सी की तरफ कैसे बहें

   छांव जब मतदाता का है

  अजनबी अभी बन नहीं सकते

गली-कूचे, शहर से गांव तलक मतदाता का है।


मुखौटे खोजें या चेहरे छांटें,

वक्त मतदाता का है किस तरह कांटें।।


गुनगुना रहे थे पांच साल 

चिड़िया की तरह शाख पर

छोड़ निष्प्रभ आलिशान पल,

सता रहे गुम हुए जाने का डर।


"व्याकुल" मन में दर्द है भरा

सब मौन, हतप्रभ शब्द की हाटें,

वक्त मतदाता का है किस तरह कांटें।।


चुप रहें या बोलकर डांटें,

वक्त मतदाता का है किस तरह काटें।।


     दयानन्द_त्रिपाठी_व्याकुल



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