सुनीता असीम

 तू हौंसला ज़रा सा मेरे डर में डाल दे।

या तो उबार दे या तो चक्कर में डाल दे।

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मुझको दे नूर ऐसा कि आकाश भी कहे।

ऐसी चमक गगन के तू अख़्तर में डाल दे।

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तेरे बिना वजूद मेरा कुछ     भी तो नहीं।

अपना बना ले मुझको या ठोकर में डाल दे।

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गुणगान मैं तेरा ही करूंगी सदा सखे।

बस नाम आज से मेरा चाकर में डाल दे।

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तेरा ही चारसू है नज़ारा   चमक रहा।

उसकी किरण तो एक मेरे घर में डाल दे।

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जंजाल में जगत के मुझे छोड़ना नहीं।

रख साथ में सदा या के गहबर में डाल दे।

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अपना बना ले या तो सुनीता को हमनवां।

या नाम अपना उसके तू रहबर में डाल दे।

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सुनीता असीम

१४/१/२०२१

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