सुनीता असीम

 तू हौंसला ज़रा सा मेरे डर में डाल दे।

या तो उबार दे या तो चक्कर में डाल दे।

*****†*

मुझको दे नूर ऐसा कि आकाश भी कहे।

ऐसी चमक गगन के तू अख़्तर में डाल दे।

*******

तेरे बिना वजूद मेरा कुछ     भी तो नहीं।

अपना बना ले मुझको या ठोकर में डाल दे।

*******

गुणगान मैं तेरा ही करूंगी सदा सखे।

बस नाम आज से मेरा चाकर में डाल दे।

******* 

तेरा ही चारसू है नज़ारा   चमक रहा।

उसकी किरण तो एक मेरे घर में डाल दे।

*******

जंजाल में जगत के मुझे छोड़ना नहीं।

रख साथ में सदा या के गहबर में डाल दे।

*******

अपना बना ले या तो सुनीता को हमनवां।

या नाम अपना उसके तू रहबर में डाल दे।

*******

सुनीता असीम

१४/१/२०२१

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

अखिल विश्व काव्यरंगोली परिवार में आप का स्वागत है सीधे जुड़ने हेतु सम्पर्क करें 9919256950, 9450433511