*गीत*(लोक-भाषा में)
डरबै उसरा पे मड़ैया,
चिरई तोहका लइ के ना।
नाहीं करबै हम ढिठैया-
चिरई तोहका लइ के ना।।
गर्मी-सर्दी सब कछु सहबै,
खेती करबै ना।
थोड़-मोड़ हम अन्न उगाइब,
जाइब बजरिया ना।
लेबै तोहका हम मीठैया-
चिरई तोहका लइ के ना-डरबै उसरा पे--------।।
गाय-भैंस हम पालब बबुनी,
उन्हैं चराइब ना।
साँझ-सकारे दुधवा दूहब,
दही जमाइब ना।
सँग-सँग खाइब हमहुँ मलैया-
चिरई तोहका लइ के ना-डरबै उसरा पे-----------।।
करब रोपाई धान क गोरिया,
माह सवनवाँ ना।
गैहा झूमि के तोहउँ कजरी,
पहिरि कँगनवाँ ना।
हमहूँ बनबै संग कन्हैया-
चिरई तोहका लइ के ना-डरबै उसरा पे-------------।।
फागुन मा जब आई होली,
होली खेलब लइ रँगवा।
तीज-दिवारी अउर दसहरा,
सभें मनाइब सँगवा।
नाचब सँग मा ताता-थैया-
चिरई तोहका लइ के ना-डरबै उसरा पे--------------।।
सुख कै जिनगी जीयल जाई,
छोड़ि सहरिया ना।
रूखा-सूखा खाइ के सजनी,
होई बसरिया ना।
ई जिनगी भूल-भुलैया-
चिरई तोहका लइ के ना-डरबै उसरा पे------------।।
©डॉ0हरि नाथ मिश्र
9919446372
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