*मधुमास*(चौपाइयाँ)
आया अब मधुमास सुहाना।
प्रियजन को है गले लगाना।।
आम्र-मंजरी महँ-महँ महँके।
खग-कुल प्रमुदित होकर चहके।।
मदमाते भौंरे मड़राएँ।
कलियाँ भी खिल-खिल इतराएँ।।
कमल-पुष्प सँग सर अति शोभन।
जिन्हें देख हर्षित हों लोचन।।
कोयल-बोल लगे मन-भावन।
प्रकृति सुंदरी-रूप सुहावन।।
प्रियतम की यादें हैं आतीं।
कहें लताएँ भी बलखातीं।।
कामदेव भी वाण चलाएँ।
सृष्टि-धर्म-दायित्व निभाएँ।।
है मधुमास तुम्हारा स्वागत।
अर्चन-वंदन हे अभ्यागत।।
थलचर-जलचर-नभचर सब में।
प्रेम-संचरण हो सब उर में ।।
"©डॉ0हरि नाथ मिश्र
9919446372
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