आख़िर सजन के पास जाना
छुपा निज उर शूल को ,
कितना कठिन है मुस्कुराना ।
पहन अभिनय का मुखौटा ,
कठिन है अभिनय दिखाना ।
आह !इक अंदर समायी ,
इस दर्द को है कौन जाना ।
अब चाह अपनी भूलकर ,
है फ़र्ज का दीपक जलाना ।
राहें अंधेरी चीर कर ,
इस पार से उस पार जाना ।
डाह किस्मत से करूँ क्यूँ,
आखिर सजन के पास जाना ।
अग्निपथ की ये परीक्षा ,
जीतकर प्रिय संग पाना ।
छुपा निज उर शूल को ,
कितना कठिन है मुस्कुराना ।
पहन अभिनय का मुखौटा ,
कठिन है अभिनय दिखाना ।
सुषमा दीक्षित शुक्ला
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