सुनीता असीम

 मन जब भी घबराता है।

तेरा साथ    सुहाता  है।

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तू है मेरे तन      मन में।

जन्म जनम का नाता है।

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तुझमें मैं  मुझमें  है  तू।

फिर क्यूँ हाथ छुड़ाता है।

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दूर कभी पास हुए तुम।

रूप तेरा भरमाता है।

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हम दोंनो जब मिल बैठें।

बातें  खूब     बनाता है।

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तुझ बिन श्याम अधूरी मैं।

छोड़ मुझे क्यूँ  जाता है।

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मिलता तू उसको केवल।

रोकर सिर्फ बुलाता है।

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सुनीता असीम

१२/२/२०२१

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