मन्ना शुक्ला

 परम पावन मंच का सादर नमन

    ....   सुप्रभात

🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏

🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹


ढ़ाई आखर प्रेम में, निहित जगत का सार।

प्रेम बिना रीता  लगें, जग जीवन आसार।।


त्याग समर्पण भावना,परहित सेवा भाव।

पावन प्रेम स्वरूप से, सजा रहें  मन गाँव।।


 प्रेम दिवस मनाइये, बाँध प्रीति की डोर।

द्वेष भाव मन के मिटें, नाच उठें मनमोर।


डगर प्रेम की कठिन है, पग पग बिखरें शूल।

प्रेम सुधा बरसात से ,खिलतें हिय में फूल ।।


 पावन बन्धन प्रेम के, बँध जाते भगवान।

प्रेम भाव महिमा बड़ी, करें सदा गुणगान।

🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏

🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹


मन्शा शुक्ला

अम्बिकापुर

कोई टिप्पणी नहीं:

Featured Post

दयानन्द त्रिपाठी निराला

पहले मन के रावण को मारो....... भले  राम  ने  विजय   है  पायी,  तथाकथित रावण से पहले मन के रावण को मारो।। घूम  रहे  हैं  पात्र  सभी   अब, लगे...