*करदाता*
अर्थव्यवस्था टिकी हुई है कन्धे पर करदाता की,
सच्ची सेवा करते अविरल पुत्र ये भारत माता की।
शिक्षा स्वास्थ्य सुरक्षादि का बोझ माथ पर ढोते हैं,
इनके बल पर बीज खेत में भूमिपुत्र भी बोते हैं।
बिजली पानी गली सड़क और सब्सिडी की भरपाई,
राजकोष के घाटे की ये पाट रहे गहरी खाई।
सरकारी हर एक योजना का व्यय यही उठाते हैं,
सार्वजनिक सम्पत्ति पर हक़ अपना नहीं जताते हैं।
इनकी व्यथा कथा का होता असर नहीं सरकारों पर,
जीवन यापन करते हैं ये दो धारी तलवारों पर।
नियमों के निष्ठुर चाबुक से होते हैं भयभीत नहीं,
सबकुछ सहते फिर भी गाते राष्ट्रद्रोह के गीत नहीं।।
©अवधेश रजत
वाराणसी
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