आत्मचिंतन
जीवन ऐसा हो
जो संबंधों की कदर करें
और संबंध ऐसा हो
जो याद करने पर
मजबुर कर दें
भगवान श्री कृष्ण,अर्जुन से कहते है
पता नहीं शायद तुम्हें
इस दुनिया का दस्तूर
जो चुप रह कर सह गया
कातिल का हर वार
लड़ता उसकी ओर से है
जग का पालनहार
जो बीता सो ठीक था
आगे भी शुभ ही होगा
जो भी करता है ईश्वर
उसमे भक्त का हित
छुपा होता है
जीवन ऐसा हो
जो संबंधों की कदर करें
और संबंध ऐसा हो
जो याद करने पर
मजबुर कर दें
हे पार्थ,तू है सागर की बूंद का
करोड़वा भाग
एक सफलता क्या मिली
उड़ने लगा दिमाग
तू तो ईश्वर को मानता है
तो काहे को घबराता है
तू तो अपना कर्म कर
पर फल की आशा से नहीं
जो जैसा जैसा कर्म करेगा
फल देगा भगवान
जीवन ऐसा हो
जो संबंधों की कदर करें
और संबंध ऐसा हो
जो याद करने पर
मजबुर कर दें
नूतन लाल साहू
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