हमारी बेटियाँ
6.2.2021
नन्ही कलियाँ फूल बनेगी
इनसे ही बगियाँ महकेगी ।
खोल पँख गगन उड़ जाए
ये तो जा कर फ़लक छुएगी ।।
कोई कल्पना कोइ विलियम
कोई झांसी की रानी बनेगी ।
परचम फैराएगी गगन में
नई कहानी ये ही लिखेगी ।।
चिड़िया जैसी लगती कोमल
मेरी कॉम सी बलशाली है
पूरे जग में नाम करे ये
नाम फ़लक पर लिख आती है ।
दो दो कुल की लाज निभाती
सृष्टि का निर्माण करे ।
सींच रक्त,मांस,मज्जा से अपने
घर की मर्यादा रखे ।।
आँगन में जब मुस्काती
अपनी संवेदना महकाती
राज दुलारी मात-पिता की
सब में प्रेम विश्वास जगाती ।।
चलती रहती धुन में अपनी
आयाम नए नए गढ़ जाती
आँखों की चमक से अपनी
दोनों जहां चमकाती ।
स्वरचित
निशा अतुल्य
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