डॉ. राम कुमार झा निकुंज

 दिनांकः ०२.०२.२०२१

दिवसः मंगलवार

विधाः कविता

विषयः जवानों की सहनशक्ति

शीर्षकः जवानों की सहनशक्ति नमन


जवानों की सहन शक्ति नमन,

संरक्षक प्रहरी    धैर्य     नमन,

रनिवासर  रत  भारत     सेवा,

जयकार वीर  योद्धा  चितवन। 


असहाय   पड़े  रक्षक जीवन,

क्षत विक्षत घायल  रक्त वदन,

कायर बुज़दिल  गद्दार  वतन,

सहता जवान  हर घाव दमन।


जख़्मी  होता रख अनुशासन,

आन तिरंगा  बस रखता  मन,

लाल किला मर्दित मान वतन,

आदेश विरत बस अश्रु नयन।


तन मन जीवन अर्पित रक्षण,

नित शीत धूप विप्लव  वर्षण,

तज मोह कुटुम्बी दिया  वतन,

बेवस व्यथित,पर अड़ा यतन।


दुर्दान्त क्लान्त दुष्कर जीवन,

जयगान वतन सीमान्त सघन,

रख लाज तिरंगा तन मन धन,

साहस अदम्य बलिदान वतन। 


हो  शौर्य  शक्ति   गुणगान  वतन,

पर आज जवान आहत तन  मन,

करूँ  सहन    शक्ति   वीर वन्दन,

सहे  सैन्य  कबतक   अवसादन।


आक्रोश हृदय  नित कवि लेखन,

कुछ    द्रोही   खल  गद्दार  वतन,

तुले   राष्ट्र   हित    मान     मर्दन,

दो   शक्ति  जवानों   को  शासन। 


ये    कृषक  नहीं  भारत दुश्मन,

दंगा  हिंसा   रत       आन्दोलन,

सरकार    विरोधी    जिद्दी   बन,

मंच  राजनीति  सज  नेता   गण। 


बस ध्येय अशान्ति , नहीं चिन्तन,

उन्माद  प्रसार  रत   ध्येय  जघन,

कुकृत्य  रत  बाधित    गमनागम,

दो स्व अधिकार  जवान    वतन।


कमजोर  न  समझो   सहनशील,

मत    गिराओ    मनोबल  जवान,

जाग्रत     सशक्त   प्रहरी   भारत,

हर   जवान  शान  सम्मान वतन।


कवि✍️ डॉ. राम कुमार झा "निकुंज"

रचनाः मौलिक (स्वरचित)

नई दिल्ली

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