विषय-मां पर दोहे
मां की सेवा सब करो, कर दे बेड़ा पार।
तीन देव से है बड़ी,इसपर सब बलिहार।
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मत मांगे तू भीख यूँ, करके हाथ पसार।
दुख भरे सुख करनी मां,महिमा अपरम्पार।
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फैला देती रोशनी,देखे जिस जिस ओर।
मात कृपा हो हर दिशा,न ओर मिले न छोर।
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आंचल में हो दुख भले, सुख की करे बयार।
महकाती है सृष्टि यूँ, जैसे दाल बघार।
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जितनी हो सेवा करो,जब तक टूटे तार।
पछताना मत बाद में, दिना बचे हैं चार।
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सुनीता असीम
११/२/२०२१
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