*।।रचना शीर्षक।।*
*।।लहरों से सीखिये गिर गिर कर*
*फिर उठना।।*
इक जर्रा भी आफताब
बन सकता है।
इक लफ्ज़ भी जज्बात
बन सकता है।।
करने वाले कर देते चाहे
हालात कैसे हों।
डूबते को तिनका भी बन
खैरात सकता है।।
बुरे वक्त में ही अच्छे बुरे
की पहचान होती है।
ढूंढो समाधान तो जिंदगी
आसान होती है।।
बिखर कर भी संवरना
सीखो दुनिया में।
फिर हर तकलीफ दूर
आसमान होती है।।
हर लहर गिर कर नये
जोश से उठती है।
हर कठनाई हौंसलों के
आगे झुकती है।।
परीक्षा समझ कर सहो
हर दुःख को।
मुस्कराने से ही तकलीफ
हर रुकती है।।
खुद पे रखो यकीन तो बुरा
वक्त गुज़र जाता है।
सब्र से धागा उलझनों का
पल में सुलट जाता है।।
मन मस्तिष्क शीतल रहे
हर निर्णय में।
बिगड़ कर भी हर हालात
फिर सुधर जाता है।।
*रचयिता।।एस के कपूर "श्री हंस"*
*बरेली।।।।*
मोब।।। 9897071046
8218685464
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