एस के कपूर श्री हंस

 *।।रचना शीर्षक।।*

*।। सारी दुनिया की आँख का*

*तारा, मैं हिंदुस्तान हूँ।।*

दुनिया   जहान     में  आला 

मैं       हिंदुस्तान हूँ।

सारे जग से      ही   निराला

मैं      हिंदुस्तान  हूँ।।

विरासत लेकर     चल  रहा

संस्कार संस्कृति की।

प्रेम अमन का   भरा प्याला

मैं    हिंदुस्तान    हूँ।।


अतिथि देवो भव   आचरण

मैं    हिंदुस्तान   हूँ।

ध्यान ज्ञान मंत्र     उच्चारण

मैं    हिंदुस्तान  हूँ।।

संकल्पना  आत्म   निर्भरता

का उदाहरण हूँ मैं।

बड़े  बुजुर्गों का वंदन चारण

मैं   हिंदुस्तान    हूँ।।


महाभारत की   महा    हाला

मैं  हिंदुस्तान    हूँ।

वेदों की   देव   दीप     शाला

मैं   हिंदुस्तान   हूँ।।

एकसौपैंतीस कोटिआशीर्वाद

अग्रसर कर्मपथ पर।

शत्रुओं लिए   भीषण  ज्वाला

मैं   हिंदुस्तान     हूँ।।


संत ऋषि मुनियों माटी    का

मैं   हिंदुस्तान    हूँ।

शौर्य गाथायों हल्दी  घाटी का

मैं    हिंदुस्तान   हूँ।।

वसुधैव कुटुम्बकम     पड़ोसी

धर्म  पालन  कर्ता।

विविधता में   एकता   चौपाटी 

का मैं हिंदुस्तान  हूँ।।


तेजी से विकास   राज  दुलारा

मैं    हिंदुस्तान    हूँ।

विश्वगुरु शांति दूत का उजाला

मैं     हिंदुस्तान  हूँ।।

सारे जग में    शान     अदभुत 

मेरी    निराली  है।

दुनिया   की   आँख  का  तारा

मैं     हिंदुस्तान हूँ।।

*रचयिता।।एस के कपूर "श्री हंस"*

*बरेली।।।*

मोब।।            9897071046 

                     8218685464

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