नूतन लाल साहू

 अभिमान छोड़ दें प्यारे


आसमान में उड़ने वाले

धरती मां को पहचान ले

हमेशा नहीं रहना है जग में

रहना है,दिन चार

अभिमान को छोड़ दें प्यारे

हे पिंजरे की,ये मैना

भजन कर लें,प्रभु श्री राम की

मिलता है सच्चा सुख केवल

प्रभु जी के चरणों में

अभिमान को छोड़ दें प्यारे

चाहे बैरी सब संसार बने

जीवन चाहे,तुझ पर भार बने

चाहे संकट ने,तुझे घेरा हो

चाहे चारो ओर अंधेरा हो

बाल न बांका कर सकें कोई

जिसका रक्षक कृपा निधान हो

अभिमान को छोड़ दें प्यारे

जो मिला है,वह हमेशा

पास नहीं रह पायेगा

मै,मेरा यह कहने वाला

मन किसी का है दिया

मै नहीं,मेरा नहीं

यह तन,किसी का है दिया

देने वाला ने दिया है

वह भी दिया,किस शान से

सूखी जीवन का,क्या राज है

पहले यह जान लीजिए

अभिमान छोड़ दें प्यारे

अंत समय,पछताएगा

गया समय,नहीं आयेगा

डरते रहो यह जिंदगी

कहीं बेकार न हो जाए

अभिमान हरै,सुख शांति

हर क्षण,इसे याद रख

अभिमान छोड़ दें प्यारे

आसमान में उड़ने वाले

धरती मां को पहचान ले

हमेशा नहीं रहना है,जग में

रहना है दिन चार

अभिमान को छोड़ दें प्यारे


नूतन लाल साहू

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