अतुकांत
जीवन
9.2.2021
शाख से गिरे पीले पत्ते
कुछ कहते हैं ,
देखो
कुछ दोहराते हैं,
जीवन का सार बताते हैं
होना है कल हमको भी जुदा
धीरे से समझातें हैं ।
खिलती कलियाँ
मुस्काती हैं
जीवन का राज बताती हैं
काँटो संग भी मुस्काना
झूम झूम बतलाती हैं ।
काले भँवरे यूँ डोल रहे
कलियों के मुख चूम रहें
गिर जाएगी कल ये कलियाँ
नई कली फिर आएगी
जीवन का सन्देश सुनाएगी ।
पतझड़ के बाद बसंत ही है
हर जीवन सुख दुख का डेरा
कभी साथ मिला इनका हमको
कभी हाथ छूटा जीवन का ।
स्वरचित
निशा"अतुल्य"
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