*कुण्डलिया*
देना कभी न चाहिए,दुष्ट जनों का साथ,
दूषित करते बुद्धि ये,अपयश आता हाथ।
अपयश आता हाथ,हँसाई होती जग में,
थू-थू करते लोग,नहीं कुछ रहता वश में।
कहें मिसिर हरिनाथ,समझ इसको है लेना,
करो बुद्धि से काम,न साथ दुष्ट का देना।।
©डॉ0हरि नाथ मिश्र
9919446372
*कुण्डलिया*
साँच मीत होता वही, जो दे उचित सलाह,
पाप-कर्म से रोक कर,कह सुकर्म पे वाह।
कह सुकर्म पे वाह,गूढ़ को सदा छुपाता,
करे मदद जब गाढ़,व वादे सभी निभाता।
कहें मिसिर हरिनाथ,है मिलती उसको जीत,
बने बिगड़ता काम,यदि मिला साँच हो मीत।।
©डॉ0हरि नाथ मिश्र
9919446372
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