काव्य रंगोली आज का सम्मानित कलमकार ममता जैन पुणे

 


*_डॉ. ममता जैन(एम.बी.ए., पी.एच. डी): एक परिचय_*

*अभूतपूर्व उपलब्धियां*
♦पुरातत्व शोध हेतु साइप्रस      इजरायल आईलैंड मिश्र अमेरिका आदि देशों की सांस्कृतिक सद्भाव यात्राएं।

♦इंडिया नहीं भारत को आचार्य श्री विद्यासागर महाराज जी की प्रेरणा से हिंदीअभियान को जन जन तक पहुंचाने हेतु देश और विदेश कीअनेक विश्वविद्यालयों में संगोष्ठी सेमिनार एवं जन जागरूकता के अनेक कार्यक्रमो का आयोजन एवं संयोजन
♦मात्र 18 वर्ष की अवस्था में भारतीय जैन मिलन के अंतर्गत 'कुमारिका मिलन 'बनाकर युवतियों में सामाजिक और धार्मिक चेतना का शंखनाद।

♦मात्र 21 वर्ष की अवस्था मेंअवस्था में पत्रकारिता में पीएचडी कर साइप्रस (यूरोप)मेंप्रथम ऑनलाइन पत्रिका अभिव्यक्ति का प्रारंभ (जिसको वहां के हाई कमिश्नर श्री पवन वर्मा जी द्वारा के शुभ संदेश के द्वारा प्रकाशित किया गया।अपर हाई कमिश्नर श्री मनोहर राम जी के द्वारा जिसका विमोचन किया गया।
♦21 वर्ष की अवस्था में ग्रीस लंदन,अमेरिका आदि की सांस्कृतिक सद्भाव यात्राएं कर जैन धर्म का प्रचार प्रसार करने वाली सर्वप्रथम जैन युवती जिसने सबसे पहले ब्रिटिश म्यूजियम में जाकर जैन प्रतिमाओं का सूचीकरण किया ।इजिप्ट म्यूजियम में जैन प्रतिमाओं का सूचीकरण किया ।

♦जिनको हाई कमिश्नर द्वारा स्वयं एंबेसी में सम्मानित किया गया। जिनकी लिखित पुस्तको के अनेकों साहित्यिक सम्मान मिले।

♦एमबीए करने के बाद भी जिन्होंने सरकारी नौकरी या प्राइवेट नौकरी नहीं की बल्कि अपना पूरा जीवन समाज सेवा के क्षेत्र में लगा दिया जिन्होंने महिलाओं को "सीमित आय में असीमित सुख कैसे प्राप्त करे" ऐसे मंत्र दिए।परिवार और बच्चे के प्रति दायित्व बोध का अहसास करवाया।
♦विदेशों में जिन्होंने शाकाहार का विशेष प्रचार किया। साइप्रस जैसे  देश मे जहाँ सीफूड ही मुख्य खाना है वहाँ शाकाहार का प्रचार प्रसार किया। भारतमे भी इस ओर सक्रिय ।मुस्लिम समाज में विशेषकर शाकाहार का प्रचार प्रसार कियाऔर इसमें कुछ हद तक सफल भी हुई जब मुसलमान व्यक्तियों नेअपनी रोजो को शाकाहारी भोजन से खोला ।
*साहित्यिक  व धार्मिक क्षेत्र में अन्य उपलब्धि*
🔷 मुनि श्री प्रमाण सागर जी अक्षय सागर जी उत्तम सागर जी,वैराग्य सागर जी,मुनिपुगव श्री सुधा सागर जी महाराज के कार्यक्रमों में एवं महिला सम्मेलनो में  मुख्य वक्ता के रूप में आमंत्रण। अनेक महिला सम्मेलनके कार्यक्रमों में बतौर मुख्य अतिथि के रूप मेंसम्मान।हैं।12 वर्ष पूर्व भी और इस वर्ष भी श्रवणबेलगोला महामस्तकाभिषेक में आयोजित विश्वस्तरीय महिला महिला में भी जिनको वक्ता के रूप में आमंत्रित किया गया।
🔷दूरदर्शन आकाशवाणी पर जिनकी वार्ताएं निरंतर प्रकाशित होती रही है।
🔷अनेकों कवि सम्मेलनका आयोजन एवं स्वयं कई कवि सम्मेलन में कवियत्री के रूप में की शोभा बढ़ा चुकी है।
शुभचिंतक फाउंडेशन ट्रस्ट के कोषाध्यक्ष,श्री चंद्रप्रभु महिला मंडल की अध्यक्ष,अखिल  भारतीय महिला महासमिती की
मध्यांचल समन्वयक,लायनेस क्लब मिरेकल की पूर्व अध्यक्ष
🔷साहित्य और धर्म के क्षेत्र मेंअनेक पुरस्कारों से सम्मानित किया गया ।जिसमें विशेष पुरस्कार "नारी गौरव" ,"समाज विभूषण"," साहित्य श्री" ,"महिला रत्न","काव्यश्री"कवि जायसी सम्मान।
🔷100 से भी से भी अधिक पत्र-पत्रिकाओं में जिनके  आलेख और शोध पत्र आ चुके  है ।देश की सभी प्रतिषिठत पत्र पत्रिकाओं में रचनायें प्रकाशित
🔷प्रकाशित पुस्तक पर एम.फिल. प्रस्तावित

समाज के लिए विशेष रूप से जिन्होंने एकता समानता और सद्भाव के सूत्र दिए।

*सामाजिक और स्वास्थ्य के क्षेत्र*
वृद्धाश्रम ,अनाथलय,बालाश्रम,
गौशाला ,वृक्षारोपण आदि सामाजिक क्षेत्र में किए गए कार्यो की राज्य स्तर पर संस्तुति

🔷अपराधियों और रिमांड होम के बच्चों के लिए शिक्षा के क्षेत्र में सराहनीय कार्य
🔷मंदबुद्धि और सैलबरी पाल्सी रोग से त्रस्त बच्चों को पठन सामग्रीआदि प्रदान करना व करवाना।
स्वास्थ्य के प्रति जागरूकता तथा दंत परीक्षण एवं मधुमेह परीक्षणआदि के लिए शिविरों का आयोजन।

🔷बालिकाओं के लिए आत्मरक्षा की कार्यशाला
नैतिक मूल्यों की स्थापना हेतु विभिन्न कार्यशाला 
पूर्व बच्चों के लिएआत्मविश्वास बढ़ाने हेतु विशेष कार्यशाला का आयोजन ।

*पुरस्कार/सम्मान*
*साहित्य श्री 1990
*युवा प्रतिभा सम्मान2003
*साहित्य सौरभ सम्मान2003
*काव्यश्री 2300
* संत कवि जायसी सम्मान
* राज किशोरी मिश्रा सम्मान *मातृछाया पुरस्कार
*नारी गौरव 2014
*आदर्श महिला पुरस्कार 2019
*समाज भूषण पुरस्कार2019
*काव्य गौरव 2019
* Star 2020 award by world records London (U.K)

*प्रकाशित पुस्तकें*
1.साइप्रस नहीं लुभाता
2.सीप के मोती
3.लहरों की मुस्कान
4.प्रतियोगिता दर्पण ,जागृति, पंजाब सौरव ,प्राकृत विद्या, ज्योति ,कादंबिनी ,ग्रहशोभा मनोरमा,   मुक्ता सरिता, नवभारत टाइम्स, जैन गजट ,जैन महिला  श्री देशना,समग्र दृष्टि आदि  में 100 से भी अधिक रचनाएं। प्रकाशितएनसीईआरटीहिंदी की सहायक पुस्तक हेतु 3 कहानियां स्वीकृत
50 से भी अधिक राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय सेमिनार और रविनार में संचालन एवं शोध वाचन
*संपादन*

अभिव्यक्ति त्रैमासिक पत्रिका  श्री देशना ,द इनफॉर्मल

*बेटियां*
बहुत बार सुनी थी मैंने
मेरी मां गाती थी मेरे लिए
" मैं बचपन को बुला रही थी
बोल उठी बिटिया मेरी
नंदन-वन सी  गूंज उठी
वह छोटी सी कुटिया मेरी
सच आज जब मेरी बेटी की  तुतलाती सुवास
हवाओं में तैरती  है
मेरा आंगन खिल जाता है
मैं भी वही पंक्तियां बुद बुदाती हूं मेरी सारी संवेदना और ममत्व का कोष भर जाता है
मेरी वत्सलता का मंगलदीप
जल उठता है
मुझे मेरी पूजा, मेरी आरती
मेरी बेटी ही लगती है
रंगोली की चमक
केतकी की महक
मंदिर से शांति
ममता की लोरी
उषा की किरण
भावों की आभा
अनुभूति की पुरवाई
सच, बेटी देहरी का दीप ही नहीं, पूरी की पूरी दीप मालिका होती है ।

डॉ ममता जैन पुणे

*सुबह का सूरज*
  
सुबह का सूरज
मेरे रोशनदान से झांकता है
छुप छुप कर जब भी देखता है
मुझसे मिलने की चाह लिए
मुझे पता लग जाता है
यह मेरे मायकेमेरे घर से मिलकर आया है
यही एक तो है
जिससे मैं पूछ लेती हूं सबके हालचाल
उठ जाती हूं सुबह
सूरज आएगा
जल तो दूंगी
आएगी मां की आवाज
नहा धो लो भगवान की पूजा करो नाश्ता तैयार करती हूं
मैं आवाज में खोती हूं
जब तक सूरज को जल देती हूं
आ जाती है दूसरी आवाज
नाश्ता तैयार नहीं हुआ क्या ?
बाद में देना जल
पूजना बाद में भगवान को
अधरों पर जम जाता है
तभी एक सवाल
सूरज तुम ही बताओ
यह क्या हो गया ?
सारा माहौल कैसे बदल गया? हम सबके बीच से
भगवान कहां और क्यों चला गया?

डॉ ममता जैन,पुणे

     
*रसोई*
   डॉ ममता जैन

रसोई बनाना ही नहीं
रसोई में बनना भी सीखती है
औरत
दाल -चावल ,सब्जी- रोटी
तरह-तरह के व्यंजनों के बीच ढलता है /बनता है /पकता है उसका व्यक्तित्व भी सांचे में
इन बर्तनों को नापते-तौलते
हाथ में लेते लेते जान गई हैं
देखते ही पहचानना
किसी भी धारिता /क्षमता और उपादेयता
आग से खेलना
उसे सहज लगता हैं
आँच झेलने में उसे तपिश नहीं लगती
अकेले सुनसान में भी रम जाती है
रसोई घर में एक औरत
यही उसके अंतरंग में
दाल की तरह प्रेशर कुकर में चुपचाप खदबदाती रहकर
उसकी भावनाएं पकती है
पर जानती है वह तपिश जब एक निश्चित तापमान ले लेगी
तब देगी एक सीटी
और जगा देगी पूरा परिवेश
पूरा परिवार
उबलते चावलों के भिगोने में उसने हमेशा एक चावल देखा है और पूरे भिगोने के चावलों की नीयत भाँप ली है /पहचान ली है इसलिए रसोई के बीच बैठी औरत को
असहाय /अबला / अशक्त  समझना नितांत भूल है
रसोई में उसने
खड़ा होना भी सीख लिया है
और अपने जीवन का नया  इतिहास
स्वयं अपनी कलम से लिख दिया है।

महानगरीय सभ्यता
                  डॉ ममता जैन
                 
ना हवा न धूप
बस रात के अंधेरे में
चारदीवारी को देख
सुरक्षित हो जाना
एक अकेली दुनिया के बीच
अपने भीतर की आवाजे
  स्वयं सुन सुनकर
  अपनी ही परछाइयों
  से बतियाना
  पत्थरों के घरौंदों में तय करना पूरा सफर
   और झपकियों के बीच ही
   कैलेंडर की एक तारीख को
   बदलकर
   एक कदम बढ़ाना
   चुपचाप बदलते मौसम में
    विकास और प्रगति के
     महासागर के किनारे
     खड़े होकर
      समय के चक्र के निशानों के बीच
       लिस्ट पर चढ़ते उतरते भी
        मंजिलें गिनने में भी
       सीढ़ियो परचढ़ने से अधिक थकना
       मुझे उस आदमखोर जंगल
        में पहुंचाता है
        जो महानगरों के बीचोंबीच
         नागफनी- सा फैलता
         जा रहा है

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