सुनीता असीम

 मेरी राहों में तूने ही किए केवल उजाले हैं।

तेरे भीतर  समाए सब मेरे मन्दिर शिवाले हैं।

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महर कर दो ज़रा मुझपर दरस दे दो मुझे कान्हा।

बड़ी मुश्किल से विरहा के ये पल मैंने निकाले हैं।

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न मेरा कुछ भी है मुझमें सभी तेरा है सरमाया।

ये माया मोह के बंधन सभी तेरे हवाले हैं।

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मिलेगा आसरा तेरा यही मन्नत मनाती हूं।

तुझे पाने की खातिर तो पढ़े कितने रिसाले हैं।

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इबादत में नहीं कच्ची मुझे कमजोर मत समझो।

बड़े तूफान अंदर से सदा मैंने संभाले हैं।

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सुनीता असीम

१७/३/२०२१

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