[22/03, 9:17 am] +91 98970 71046: *।।ग़ज़ल।। ।। संख्या 37।।*
*।।काफ़िया।। अता ।।*
*।।रदीफ़।। नहीं है ।।*
*बहर-1222-1222-122*
1
हमारा मन वहाँ लगता नहीं है।
जहाँ पर तू हमें दिखता नहीं है।।
2
सिवा तेरे हमारा दिल किसी का।
कभी भी रास्ता तकता नहीं है।।
3
तुम्हारे हुस्न की रंगत के आगे।
कोई भी रंग अब फबता नहीं है।।
4
हमारा जोशे-दिल देखो ख़ुदारा।
तलाश-ए-यार में थकता नहीं है।।
5
हमारा पाँव गलियों में तुम्हारी।
अभी भी जाने से रुकता नहीं है।।
6
हैं हम तुम जिस्म दो पर जान इक हैं।
अलग अब कोई कर सकता नहीं है।।
7
है तेरे हाथ में साँसों की डोरी।
हमारा ज़ोर कुछ चलता नहीं है।।
8
नहीं हो *हंस* जब तुम साथ मेरे।
नज़ारा कोई भी जचता नहीं है।।
*रचयिता।।एस के कपूर "श्री हंस*"
*बरेली।।।।*
मोब।।।।। 9897071046
8218685464
[22/03, 9:17 am] +91 98970 71046: *।।ग़ज़ल।। ।।संख्या 12।।*
*।।काफ़िया।। आये।।*
*।।रदीफ़।। हो गए।।*
हम अपने घर में ही आज पराये हो गए।
हमारे पौधेआज दूजों के लगाये हो गए।।
अजब गजब किस्मत ने ऐसा खेल खेला।
हमारे बताये रास्ते दूजों के दिखाये हो गए।।
गर्दिश में सितारे घिरे कभी न किसी के।
पत्थर से नाम हमारे ही सफाये हो गए।।
जिस महफ़िल के सदर थे हम कभी।
आज उस अंजुमन में सर झुकाये हो गए।।
गम नहीं है फिर भी कोई हमको।
अपनों के बीच हम जैसे भुलाये हो गए।।
*हंस* जिन रास्तों को सजाया हसीन सपनों से।
उन्हीं पर सरे राह हम लुटे लुटाये हो गए।।
*रचयिता।।एस के कपूर "श्री हंस*"
*बरेली।।।।*
मोब।।।।। 9897071046
8218685464
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