काव्य रंगोली आज का सम्मानित कलमकार पूनम यादव,वैशाली (बिहार )

 मेरा  परिचय 


पूनम यादव 


जन्म - 15/08/1994


पिता - श्री प्रभु प्रसाद यादव 

माता - अनिता राय



शिक्षा - स्नाकोतर (जन्तु विज्ञान )

कम्प्यूटर  (adca)


राष्ट्रीय साहित्यिक (राष्ट्रीय आंचलिक साहित्य संस्थान, आचार्य रामचंद्र शुक्ल साहित्य  सम्मान  एव the pen club सम्मान ,  व  अन्य संस्थान से वाद विवाद प्रतियोगिता, निबंध लेख प्रतियोगिता, कबड्डी प्रतियोगिता  , संगीत प्रतियोगिता, गोला फेंक, बैडमिंटन, लम्बी कूद प्रतियोगिता से सम्मान प्राप्त इत्यादि!


शौक -  विज्ञान एवं साहित्य की किताबें पढ़ना!


रूचि ~  कविता लिखना ।


बिहार पटल प्रभारी - राष्ट्रीय आंचलिक साहित्य संस्थान(रजिं) ,भारत


पता - सदापुर महुआ 

पोस्ट - महुआ , थाना - महुआ 

जिला - वैशाली ,

पिन - 844122        

Whatapps - 8434357256

Email id - poonam7544@.Gmail. com


शीषर्क - बेईमानी का धुंआ 





तेरे ही बेईमानी का धुंआ जो निकला, फैला हर परिवेश में।

तभी तो भष्टाचार की आग लगी है, आज हमारे देश में।


ये लपटें बढ़ रहे है ऐसे, जिसे रोक लेना अब आसान नही ।

केवल सच का करें प्रदर्शन, आज वैसा हिन्दुस्तान नही ।


कहना तो मुमकिन बहुत है, पर कर लेना कोई खेल नही ।

जब नियम बनाने वाले ही स्वयं नियम को सकते झेल नही ।


आज स्वयं लुटेरा बन बैठा, जब संचालक इस देश का ।

तो कौन करेगा फैसला , न्याय सहित इस केस का ।


आज टूट रहा ये मुल्क हमारा, इन नेता ओ की  ताना तानी से।

रक्षा करना है हमें देश की, इन लोगो के भष्ट मनमानी से ।


आज धिक्कारती हर महल तुम्हारी मत भर मुझको बेइमानी से ।

अब भी वक्त है संभलो यारों, यही विनय है हर हिन्दुस्तानी से।


ना हो मातृभूमि की सेवा तो तुम चुपचाप ये कह देना ।

पर बंद करो तुम सब ऐसे गद्दारो जैसा  सह देना ।


इस गद्दारो के आवारापन से ,भारत का   

नीवं यदि हिल जाएगा ।

जरा भान रहे सम्मान देश का मिट्टी मे मिल जाएगा ।


पूनम यादव 

वैशाली जिला से




गीतिका

लिख सकू तो, मैं आ कुछ बेहिसाब लिखॅ दु।

हो पढ़ने लायक कुछ ऐसा किताब लिख दु।

जाग उठे पुरी दुनिया सच के अंदाज में

दिल के कोने-कोने मे, मै वो इंकलाब लिख दु।


इस धरती से हो जाए झूठ का सर कलम

पूरी दुनिया मे, मै सच्चाई का सैलाब लिख दु।


बहुत जलजले है, जिस दुनिया मे हम पले है 

सारे प्रश्न का मुहब्बत ही एक जवाब लिख दु।


उतरने लगा है कोई दिल की गहराई में

दर्द से भरा दिल है ये खबर तुझे महताब लिख दु।


बलिदान हो मेरी खुशियाँ किसी और के खातिर 

खुद को हराकर उन्हे जीत का खिताब लिख दु।


पर्दे डालकर सच छुपाने से क्या फायदा 

लिख सकू तो सच को बेनकाब लिख दु।


छुप जाए सच कभी न हो पाए उजागर 

गलतफहमी मे न मैं कोई दवाब लिख दु।


हर आॅखे जी रहे है, आँसुओं में डूबकर 

बुझते दिल में मैं पूनम कोई ख्वाब लिख दु।


पूनम यादव 

वैशाली जिला से



पानी और रंगो ने अपनी दिल खोली।

 ये रगं गुलालों की अपनी हमजोली ।

घर घर निकल पड़ी दोस्तो की टोली 

चलो हम सब मिलकर मनाये होली ।

  

होली की हार्दिक बधाई 

पूनम यादव


तु पड़ जितना भी काटों, पर मुझे उड़ान बनना है।

मेरा जिद एक ही है , बस मुझे महान बनना है।


पुरे विश्व में ये देश मेरा एक अलग परचम लहराये

भारत माँ के आँचल का वही सम्मान बनना है।


अधिकार मांगो ठीक है पर फर्ज भी भुलो नही 

इसी उद्देश्य के लिए हमे जन उत्थान बनना है।


हर दिल में उतर जाऊ मैं,जाग्रति

आगाज लेकर 

हमें पूरे विश्व पटल पर एक नई पहचान बनना है


तु पड़ जितना भी, ,,,,,।

मेरा जिद एक ही,,,,,,,।

पूनम यादव, वैशाली  (बिहार )



शीषर्क -भारत छोड़ो देशद्रोहीयो 


भारत छोड़ो देशद्रोहीयों तेरा आखिरी वांरट ये जारी है ।

बहुत देखे कारनामें तेरे बहुत सह ली हमने गद्दारी है।


अरे बहुत चला ली घर हमने अब देश चलाना बाकी है ।

भारत के चप्पे-चप्पे में जब फैल चुकी तेरी चालाकी है।


भारत है ये देश हमारा जाग उठी इस देश की नारी है।

छुपो मत बाहर निकलो जो जो भी वतन व्यापारी है।


तुम जैसे भष्ट बईमानो से तो हम बच्चे भी हुए प्रभावी है।

क्या दशा बना दी भारत की जिस भारत के हम भावी है।


देश के ऐसे लुटनहारो का बहुत जरूरी यह गिरफ्तारी है।

यदि भारत की सरकार चुप तो आज ये आदेश हमारी है।


पूनम यादव, वैशाली  (बिहार )



रघुकुल तिरंगा 


मेरे मन में एक ही  शोर हो।

राम नाम की गुंज चहुँओर हो।


मेरे मन में एक ही मोड़ हो।

रे मन राममय भक्ति विभोर हो ।


वही है मझधार के कोर हो।

रे मन नदियाँ बही बिजोर हो।


ले लो डुबकी छूटेगी सब पाप हो।

राममय नदियाँ है पुण्य का धाम हो।


जोड़ दो मन के मेरे भी तार हो।

उनकी चरणों की कृति अपार हो।


मेरे मन भी भवसागर से पार हो।

कर दो मृत्यु से  मेरा उद्धार हो।


जिसके संग लक्ष्मण जैसा भाई हो।

धन्य धन्य वह वीर रघुराई हो।


श्रीराम की भक्ति जिसने पाई हो।

धन्य वह जो भजता प्रभुताई हो।  


जो प्रेम भक्ति आनन्द का झंडा हो।

जिसमे लक्ष्मणरूपी भावुक डंडा हो।


जिसके संग परम पतिव्रता स्नेही हो।

जिसके प्राणप्रिया सीता वैदेही हो ।


जो परम धमज्ञ गुणी संगा हो।

धन्य-धन्य यह रघुकुल तिरंगा हो।


पूनम यादव,वैशाली  (बिहार )


8434357256


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