एस के कपूर श्री हंस

 [14/03, 8:40 am] +91 98970 71046: *विषय।।बाल साहित्य।।*

*विधा।।बाल शिक्षाप्रद कविता।।*

*शीर्षक।।स्कूल में शुरू हो गई*

*फिर से अब पढ़ाई है।।*

1

बिल्ली मौसी दूध मलाई

मेरी तुम मत खाना।

मुझ को खा पीकर     है

स्कूल को     जाना।।

करनी है    मुझको    तो 

खूब          पढ़ाई।

बंदर मामा मत कर  मेरी

छत पर    लड़ाई।।

2

कॅरोना में घर   बैठ  कर

आयी   बारी  है।

शुरू हुई फिर  स्कूल  की

तैयारी          है।।

हाथी दादा    मिलने हम

चिड़ियाघरआयेंगे।

बंदर मामा आकर  केला

तुम्हें    खिलायेंगे।।

3

भगवान जी से     मिलने

मंदिर    जाना है।

उनसे प्रार्थना करके  हम

को  आना     है।।

हम खूब करें  पढ़ाई  यह

आशीर्वाद   मिले।

स्कूल में सबसे मिल कर

वैसे ही मन खिले।।

4

आज स्कूल जाते   लड्डू

मिला खाने    को।

मना कर      दिया   हमने 

अनजाने      को।।

मम्मी पापा ने मना  किया 

ऐसे कुछ लेने को।

अच्छा नहीं  होता   किसी

को कुछ देने को।।

5

आज बूढ़ी काकी  को हम

ने सड़क पार कराई।

बचाया चिंटू मिंटू को  कर

रहे थे दोनों लड़ाई।।

टीचर जी ने बताया हमको

बात अच्छी  सीखें।

बिना मास्क  सड़क  पर यूँ

ही   नहीं     दीखें।।

*रचयिता।।एस के कपूर "श्री हंस"*

*बरेली।।।।*

मोब।।।।।।     9897071046

                     8218685464

[14/03, 8:40 am] +91 98970 71046: *।।ग़ज़ल।।   ।।संख्या  17 ।।*

*।।काफ़िया।।  हर ।।*

*।। रदीफ़।।  अच्छी बात नहीं।।*

*बहर     22-22-22-22-22-22-2*


जहर की खेती बोई जाये अच्छी बात नहीं।

दुनिया हम को नाच नचाये अच्छी  बात नही।।


हमको करना होगी गुलशन की पहरेदारी।

कातिल आबोहवा मुस्काये अच्छी बात नहीं।।


प्यार मुहब्बत के पौधों से भरना है सारा गुलशन। 

 नफ़रत हर सू आँख दिखाये अच्छी बात नहीं।।


इतनी पहरेदारी है कैसे यह है मुमकिन।

दुश्मनआकर घात लगाये अच्छी बात नहीं।।


ऐ *हंस* यहाँ पर छुप छुप कर के कोई दुश्मन।

मेरे  बच्चों को उकसाये अच्छी बात नहीं।।

*रचयिता।।एस के कपूर "श्री हंस"*

*बरेली।।।।*

मोब।।।।।     9897071046

                   8218685464

[14/03, 8:40 am] +91 98970 71046: *।।ग़ज़ल।।    ।। संख्या  18।।*

*।।काफ़िया।। आज  ।।*

*।।रदीफ़।।   है       ।।*


तेरे अहम को जाने किस बात का नाज़ है।

आखरी सफ़र को भी दूसरों का मोहताज़ है।।


जाने कितने सिकंदर दफ़न हैं इस जमीं में।

तेरा क्यों यह वहम कि तेरे सर पर  ताज है।।


जिसने दिल दुनिया का जीता वही है कमाई।

वही साथ जाता बस यह एक खुला राज़ है।।


नेकी कर दरिया में डाल का हो फ़लसफ़ा।

अपने कद से नहीं कामों होता फ़राज़ है।।


अमीरी गरीबी का फर्क हर जगह लागू नहीं।

प्रभु की चौखट से  नाता इसका दूर दराज है।।


तेरे बुलाने पर जमा होते हैं कितने लोग।

कीमत गर है तो बस तेरी यह आवाज़ है।।


" *हंस*" बिताई जिसने जिन्दगी हाथों में हाथ लेकर।

वही फिर जाकर बना दुनिया में सरफ़राज़ है।।


*रचयिता।।एस के कपूर "श्री हंस"*

*बरेली।।।।*

मोब।।।।        9897071046

                    8218685464


*फ़राज़।   ।।।।।।।     ऊँचा*


*सरफ़राज़   ।।।।।।।।   सम्मानित*

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