एस के कपूर श्री हंस

 [15/03, 6:15 am] +91 98970 71046: *।।ग़ज़ल।।  ।।संख्या 20।।*

*।। काफ़िया।। ओल ।।*

*।।रदीफ़।।  कर रखो ।।*


हमेशा एक खिड़की    खोल कर रखो।

रूठ भी जाओ मगर मीठा बोल कर रखो।।


इंसानियत का एक    ही    तकाज़ा है।

हर बात को तुम बस खूब तोल कर रखो।।


दुनिया में गर चाहिये  सबकी वाह वाही।

अपना हर किस्सा बहुत तोल मोल कर रखो।।


हर बात कहो अच्छी  नियत साफ दिल से।

मत कोई बात     बेवजह झोल कर रखो।


गर तालुकात बिगड़    भी जायें किसी बात पर।

फिर भी जुबां में अपनी मिठास घोल कर रखो।।


" *हंस*" जिन्दगी के सफ़र में जीत का एक ही तरीका है।

अपने किरदार का मोल अनमोल कर रखो।।


*रचयिता।।एस के कपूर "श्री हंस"*

*बरेली।।।।*

मोब।।।।।    9897071046

                  8218685464

[15/03, 6:15 am] +91 98970 71046: *।।ग़ज़ल।।    ।।संख्या    19।।*

*।। काफ़िया।। आनी।।*

*।।रदीफ़।।   है    ।।*


तुम्हारी अदालत ओ मुंसिफ कलम वही पुरानी है।

सच की हार झूठ के हाथ वही  कहानी है।।


लिखा पढ़ी सब मालूम होती    है फर्जी।

सुना दिया     फैंसले को बस     जुबानी  है।।


अंदर मिट्टी बाहर चूना ऊपर से बस लीपापोती।

यह पैसे की खनक दौलत की मेहमानी है।।


अजब गजब सा दौर यह आज चल रहा।

जमाने की कैसी यह बन  गई रवानी है।।


झूठ की राह पर भीड़  आज है बेइंतहा।

सच की राह आज भी सूनी अनजानी है।।


" *हंस*"  सच कमजोर हुआ जरूर पर हारा नहीं।

रहता है जीत कर गर ऊपरवाले की मेहरबानी है।।


*रचयिता।।एस के कपूर "श्री हंस"*

*बरेली।।*

मोब।।।        9897071046

                   8218685464

कोई टिप्पणी नहीं:

Featured Post

दयानन्द त्रिपाठी निराला

पहले मन के रावण को मारो....... भले  राम  ने  विजय   है  पायी,  तथाकथित रावण से पहले मन के रावण को मारो।। घूम  रहे  हैं  पात्र  सभी   अब, लगे...