शुभा शुक्ला मिश्रा 'अधर

शुभ रंगोत्सव..💞🎨☺🎭
ग़ज़ल
*****
चढ़े संसार के सिर पर अजब सी भंग होली में।
लगाते हैं मुहब्बत से सभी जब रंग होली में।।

करें सब एक दूजे को भले ही तंग होली में।
नहीं होती मगर तकरार कोई जंग होली में।।

बड़े-छोटे थिरकते हैं खिलें घर-द्वार भी सबके,
नगाड़े- ढोल  बजते  हैं  चले  हुड़दंग  होली में।

कहीं होती ठिठोली तो हुआ मदहोश है कोई,
पुलक उठता खुशी से झूमता हर अंग होली में ।

रँगा जो भक्ति के रँग में हुआ प्रहलाद सा प्यारा,
करे वो होलिका का दंभ पूरा भंग होली में।

सिखाती आग होली की बुराई को जलाना पर,
सिखा सकता नहीं कोई  किसी को ढंग होली में।

उमा-शंकर सिया-राघव रँगे हैं कृष्ण-राधा भी,
कथाएँ यह बताती हैं इन्हीं से रंग होली में।

गुज़ारिश है मुक़म्मल हो 'अधर' दिल की यही चाहत,
कि मैं खेलूँ सदा होली तुम्हारे संग होली में।

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आप सभी आत्मीयजनों को रंगों के पावन पर्व #होली की हार्दिक शुभकामनाएँ।☺🙏💐

🌹।।जय जय श्री राधेकृष्ण।।🌹

 #शुभा शुक्ला मिश्रा 'अधर'❤️✍️

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