नूतन लाल साहू

होली

परिवार संग खेलो होली
बीती उमर न आयेगी कल
हंस लें जरा, गा लें जरा
होली है होली है होली है
बड़ी जादू भरी है ये दुनिया
दुनिया के मजे लूट लें
रंग गुलाल का त्यौहार
होली है होली है होली है
खुशी से नाचें मेरा मन
पायल बोले छन छनाछन
एक साथ मिलकर बोलो
होली है होली है होली है
रात भर का है मेहमान अंधेरा
तुझको ये पल न मिलेगा
रंग डाल लें,गुलाल लगा लें
और प्रेम से बोलो
होली है होली है होली है
यही तो वो सांझ सबेरा है
जिसके लिए तड़पे
मानव सारा जीवन भर
आ गई है,खुशियों की बेला
पूरा परिवार मिलकर बोलो
होली है होली है होली है
आया है कोरोणा का बवंडर
हमेशा नहीं रह पायेगा
कही खुशी तो कहीं गम है
बुराई पर अच्छाई का पर्व
होली है होली है होली है
परिवार संग खेलो होली
बीती उमर न आयेगी कल
हंस लें जरा, गा लें जरा
होली है होली है होली है

नूतन लाल साहू

कोई टिप्पणी नहीं:

Featured Post

दयानन्द त्रिपाठी निराला

पहले मन के रावण को मारो....... भले  राम  ने  विजय   है  पायी,  तथाकथित रावण से पहले मन के रावण को मारो।। घूम  रहे  हैं  पात्र  सभी   अब, लगे...