काव्य रंगोली आज का सम्मानित कलमकार अंजना चोटाई मुम्बई

 नाम:अंजना चोटाई

प्लेस: अलीबाग


एज्युकेशन: बी.कोम

9595750785


❄️चांद❄️

      🌙                       

मेरी छत पर आज, चांद नजर आया ।

खुला आसमान, रोशनी से जगमगाया।

कभी बादलों में छुपता, जैसे,

बुरके में छिप रहा नजर आया।

चांद भी क्या खुब है ,                                 कैसा शीतल तेज ले आया।

ना सर पे कोई घूंघट,

ना शर्मीली अदा,

 ये कैसा रुप लिये,

 धरती पर उतर आया।

दुल्हन-सी सजी,

 हर सुहागिन के जीवन में,

 खुशियाँ और उमंग भर लाया।

आज दिल खोल के शीतलता लिए अपनी

मघुर गरिमा के साथ,                                 

 पति-पत्नी के प्यार में आज,

फिर से बसंत ले आया। 

 करवाचौथ का हो 

 शरदपूणिॅमा का हो                                                        या चांद हो  ईद का भले ही,                                        हर दिन हर पल देख के तुझे,

 दिलों में हर धडी 

आनंद-ही-आनंद छाया।

        ‌             अंजना चोटाई

       ‌                 अलीबाग

                       ४/११/२०२०

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💥नशा💥

  

नशा ऐसा हो जाये सांवरिया

तेरे ही रंग में रंग जाऊं।

तेरी ही बंसी की धुन में खो जाऊं।

तेरी ही भक्ति में डुब जाऊं ।

तेरी ही शरण में लिन हो जाऊं।

 बस तेरे ही गून गाऊं तल्लिन हो जाऊं।

तेरे नैनों में बस जाऊं।

तेरी नज़रों में समां जाऊं ।

भले बूरे का भेद न जानु,

सम दृष्टि के भाव लीए,

सब के दिल में तेरी ही छबि पाऊं।

जन -जन में कण-कण में बस तुजे ही में पाऊं।

संसार के बिच रहकर भी

मैं तुज संग प्रीत लगाऊं।

तेरी-मेरी प्रीत की रित अनोखी

ये बात में किसीको ना समझा पाऊं।

हे गिरीधर, मुरलिधर तेरे दर्शन की आश है, मैं कैसे तुज को  पाऊं?

 मेरे श्याम सुंदर कब तेरे संग मैं रास रचाऊं?

सारा जीवन तुझे पाने को

 विरह के नशेंमें तड़पाऊं।

तेरी ही प्रतीक्षा में बस मैं जीवन बिताऊ।

                अंजना चोटाई

                  अलीबाग

                   महाराष्ट्र

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 रंग🌈


दुनिया के है रंग बहुत,कई सारे

जीवन है सुख-दुख का मेला और सतरंगी रंगों का घेरा।

देखने को हमें यहां मिलते रोज ही विविध रंग

कभी हसी-खुशी के  हंसते लहराते खुशियां बिखेरते प्यारे रंग।

तो कभी ग़म के अंधेरो में डुबे दुखी अरमानों के रंग।

कभी जीत की खुशी के रंग 

कभी हार की निराशा के रंग।

मन के भी तो है कितने रंग,              प्रियतम के याद में डुबे प्यार का रंग

तो कभी विरह में छलके आंसुओं का बेरंगी रंग।

ये रंगों की लंबी परिभाषा

इन रंगों पर लिखने बैठो

 तो कई रंग मिल जाते हैं,

शब्दों के रंग,भावों के रंग

खट्टी-मीठी बातों का रंग

सच्ची- झूठी तकरारों के रंग

दुनियादारी के ये रंग बहुत है,

रंगों की है ये जो गाथा ‌।    धरती के सारे रंग निराले

नीला,पीला,हरा,लाल,गुलाबी सब नशीला

होली की खुशियों से जीवन बने 

रंगीला

               अंजना चोटाई

                 अलीबाग

                  महाराष्ट्र

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🌻बसंत🌻


सुंदर रंगोसे सजी धरा बसंत के वैभवको चूमें  ‌                                                         ‌सृष्टि नवजीवन मदमस्ती में झूमे।                             प्रक्रृति नवपल्लवीत सुशोभित रूपयौवन सी 

जीवसृष्टि दिसे मनमोहित सुंदर प्रफफुलित।                    धरती निखरी  सजी दुल्हन सी हरी-भरी ओढीं पीली चूनर।   

 ताज़गी से भरी हवाओं में लहराये

जैसे की नव- यौवन सी मस्ती में डोले।

बसंत की मनमोहीनी लहरें संग,         नवयौवन के तन-मन हर्षे

पियां मिलन कि आश में बेचैन दिल तरसे।

पिया मिलन को मन में छाई है उदासी

में पियां बहावरी पिया मिलन कीं प्यासी।                                                                                      

               

               अंजना चोटाई

                 अलीबाग

                   महाराष्ट्र

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 💦ओस की बूंदें💦

                                                

टपकती ओस की बूंदें पतों से ऐसी

चमकती नाजुक मोती जैसी।

अपनी शितल ठंड की अहसास  दे जाती

ठहरती नहीं ज्यादा उन डाली, फुलों, पतों पर , वो बह जाती

जैसे की मिट्टी की खुश्बू इन्हें  है याद आती।

सुरज की किरणों से जैसै वो नम हो जाती

वो धूल, मिट्टी में मिल के

खुद को जैसे कुरबान कर जाती।

सोचती हूं उठाकर रखलुं  इसे किंमती रत्नों की तरह अपने पास

पर देखते ही देखते आंखों से ओझल हो जाती 

ये ओस की बूंदें।


                   अंजना चोटाई

                     अलीबाग

                       महाराष्ट्र

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