काव्य रंगोली आज का सम्मानित कलमकार चारण हार्दिक आढा

 कवि का नाम - चारण हार्दिक आढा

पिताजी का नाम - ककल दान जी

गांव - पेशुआ

जिला - सिरोही

राज्य - राजस्थान

मो +91 78498 05093


       1. शीर्षक  - युवा का उत्साह


युवा का उत्साह हर साहस से बड़ा है।  

आसमान की उंचाई तक,पर्वत-सा अटल खड़ा है।


यूवाओ को इस उम्र में,सब कुछ करना है प्राप्त ।

उत्साह की सीमा नहीं, सब कुछ मिल जाए पर नही पर्याप्त ।।


कांटे आए तो भी रुका नहीं, उत्साह इतना की

गिरा पर हारा नही।


उत्साह उतना की सब कुछ मिल जाये,

अकेला खडा है पर डरा नही।


उत्साह से कई सफर तय करने की उम्मीद

लिये रहता है।


आसमान भी नाप लूंगा , मन में उत्साह लिये

कहता है।

 

कई बार असफलताओं की ,मार सहता है।

एक दिन सफल बनूंगा मन में उत्साह लिये कहता।


हारो के हार से, आखिरकार जीत कर जीत का तिलक लगाता है।


हार का गम  हटा, जीत की खुशी मनाता है।

हार-हार कर जो ना हारा,युवा का उत्साह

कहलाता है।


युवा के संघर्ष की कहानी, कवि  हार्दिक आढा

सुनाता है।

                                                                                                       कवि- चारण हार्दिक आढा


        2. नि: शब्द कवि भी शब्द है


शब्द शब्द पर नि : शब्द प्रलोभन , 

शब्द शब्द पर आह भरी है

नि:शब्द है देखो शब्द प्रभारी , 

जिसने शब्द मे चाह भरी है ।


जिन शब्दो से दुनिया जीती , 

कुछ शब्दो से हारी है ,

शब्द शब्द पर शब्द है भारी , 

फिर भी मौन है शब्द प्रभारी ।


नि:शब्द कवि भी शब्द टटोले , 

मानो शब्दो की होली,

कुछ घड़ियों मे कवि मौन है , 

नि: शब्द मे फिर भी शब्दों की होली


शब्द शब्द पर नि : शब्द प्रलोभन ,

 शब्द शब्द पर आह भरी है

नि:शब्द है देखो शब्द प्रभारी , 

जिसने शब्द मे चाह भरी है ।


                                     कवि चारण हार्दिक आढा


              3. मां शारदे की वंदना


स्वर और शब्द तुझी से पा रहा हू

मै ज्ञान कि दिशा में जा रहा हू

तू ही है मेरे कंठ की वाणी

मैं तेरी वंदना ही गा रहा हूं।


नींद आई तो ख्वाब मे भी

मा तेरी ही कल्पना है

हर शब्द मे मेरे मा तेरी आराधना है

मेरे कंठ के शून्य स्वर में भी

 मा तेरी ही वंदना है।


हर शब्द तुझी से आते हैं

सुर तेरी वंदना गाते है

हर शब्द के मीठे बोल वही मानूंगा

जो तेरी वंदना सुनाते है।


अंबर से बड़ा पृष्ठ चाहिए 

तेरी वंदना गाने को

तारो से ज्यादा शब्द चाहिए 

वर्णमाला छोटी है

तेरे गुणगान गाने को।


कवि चारण हार्दिक आढा


                  4. अभिमन्यु की वीरता 


मानो रण विकराल खड़ा  था, सामने वह भी अपनी जिद पर अड़ा था। 


धुरंधरों को सिखलाने को , वीर की परिभाषा बतलाने को। 


एक वीर चक्रव्यूह भेदने गया था, काल से लड़ने गया था। 


धुरंधरों के सामने वह भी अकेला खड़ा था, वह अभिमन्यु महान बड़ा था। 


निर्भीक वह वीर गया था लड़ने को, पर उसे यह मालूम न था वो कायरों से लड़ने गया था। 


सामने विद्वान और दानवीर खड़ा था वह वीर रण मे घाव खाकर अर्ध मूर्छित सा लड़ा था। 


उन सब कायरो से वह वीर लड़ा था, उन कौरवों की कायरता पर वह मन ही मन वह हंस पड़ा था। 


माना वह प्रहर का परिणाम अभिमन्यु के पक्ष में न था, पर हमारा प्रणाम उस वीर के पक्ष में है। 


                               कवि - चारण हार्दिक आढा 


        5. गए पुराने दिन नव वर्ष महकता आया है


गए पुराने दिन नव वर्ष महकता आया है

भूलो पिछली बातो को बुरे दिन रातो को,

फिर शुरुआत करो नव वर्ष चहकता आया है

राह को आसान करो भूलो मुश्किल बातो को।


गए पुराने दिन नव वर्ष महकता आया है

दुख की बात को भूलो सुख को याद करो,

नव वर्ष भली भांति खुशियों सा छाया है

नव उजाला है इससे ना फरियाद करो।


गए पुराने दिन नव वर्ष महकता आया है

आंखो में जो ख्वाब है उन्हे हकीकत में तब्दील करो,

अंधेरे को मिटाता नए दिन नया उजाला आया है,

ख्वाबों का महल है जो उसे हकीकत में तब्दील करो।


गए पुराने दिन नव वर्ष महकता आया है

बैर को भूलो अपनापन अपनाओ तुम,

स्वभाव वहीं है भले बदली हमारी काया है

झूठ नहीं अब सच्चापन अपनाओ तुम।


गए पुराने दिन नव वर्ष महकता आया है

पुराने दिनों को विदाई नई यादे बनाओ तुम,

नया दिन नई शुरुआत का उजाला छाया है

अच्छी यादें आंखो में खुशी के मोती बनाओ तुम।


गए पुराने दिन नव वर्ष महकता आया है

युवा याद करो उत्साह को फ़िर शुरुआत करो

भूलो हार को याद रखो नव वर्ष जीत दिलाने आया है

गुस्सा नहीं अब फिर  शांति की शुरुआत करो।


गए पुराने दिन नव वर्ष महकता आया है

पहले किये वो प्रयास थे अब जीत निश्चित है,

नव वर्ष तेरी जीत का परचम लहराने आया है

खुशियां आयेंगी दुख बीतेगा  ये अब निश्चित है।


                   कवि - चारण हार्दिक आढा


                 

             6. बता किरदार कैसा हो


नए अध्याय नई कहानी गठित कर रहे होंगे बता किरदार कैसा हो।

वहीं खाली सा पृष्ठ हो , या स्वर्ण लीपित वो लेख हो

शून्य की ध्वनि हो , या प्रखर शोर उल्लेखित हो

नई क़लम नई बात हो, या पुराने पृष्ठ का आधार हो,

नए अध्याय नई कहानी गठित कर रहे होंगे बता किरदार कैसा हो।


शब्द का हाहाकार हो , अलंकारों का भिन्न प्रकार हो

सीमित ना हो बात कोई, असीमित इसका विस्तार हो

प्रलयकारी शब्द मे शांति  ही इसका लक्ष्य हो,

नए अध्याय नई कहानी गठित कर रहे होंगे बता किरदार कैसा हो।


       कवि चारण हार्दिक आढा


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