दिनांकः २१.०३.२०२१
दिवसः रविवार
विधाः स्वच्छन्द (दोहा)
विषयः स्वच्छन्द
शीर्षकः रंगरसिया राधा रमण
वंदन पूजन हरि चरण , अर्पण जगदानन्द।
राधा नटवर प्रिय मिलन , ब्रज होली आसन्द।।१।।
राधा माधव मोहिनी , करूँ रंग शृङ्गार।
खेलूँ होली साथ में , जननी जग आधार।।२।।
मन मुकुन्द राधा प्रिया , प्रीति भक्ति रसधार।
गाऊँ महिमा श्रीधरन , हो जीवन उद्धार।।३।।
कंठहार माधव सुभग , कौस्तुभ मणि गोपाल।
मनमोहन सरसिज वदन , कोमल गाल रसाल।।४।।
पीतवसन मुखचन्द्र रस , माधव मत्त मतंग।
ललित कलित यशुमति तनय, होली रंग तरंग।।५।।
सुष्मित सुरभित राधिके ,मधु माधव मन मोर।
भींगी तन मन प्रेम जल , मुरलीधर चितचोर।।६।।
मतवाली सब गोपियाँ , लेकर गाल गुलाल।
रंगरसिया राधा रमण , रंग लगायी भाल।।७।।
चढ़ा रंग गोविन्द मन , खेले होली मस्त।
जोगीरा मधुगान से , ग्वाल बाल उन्मत्त।।८।।
नंदलाल लखि नंद को ,प्रमुदित यशुमति अम्ब।
लीलाधर रच रास को , मुदित जगत अवलम्ब।।९।।
मातु यशोदा कृष्ण लखि, खोयी सुख आनंद।
लखि मुकुन्द माँ नेह को , खिला हृदय मकरन्द।।१०।।
माधव मधुवन माधवी , रंजित फागुन रंग।
राधा मुख रस माधुरी , पीकर थिरके अंग।।११।।
ब्रजवासी मधुमत्त लखि , राधा नटवर लाल।
गाये फगुआ गान नँच , रंग लाल गोपाल।।१२।।
राधा माधव मधुमिता , मन मुकुन्द अभिराम।
खेली होली मीत मन , पा श्रीधर सुखधाम।।१३।।
राधा वल्लभ शुभ मिलन, फागुन मास निकुंज।
ब्रजभूषण दर्शन सफल, व्रज होली सुख पूँज।।१३।।
समरसता के रंग में , सराबोर त्यौहार।
होली मानक एकता , सद्भावन उपहार।।१४।।
मधुरिम वन मधु माधवी , मुकुलित चारु रसाल।
फागुन के नवरंग से , सरसिज गाल गुलाल।।१५।।
रीति प्रीति नवनीत मन , होली समरस गीत।
प्रगति सुरभि बन खुशनुमा , सहयोगी सद्मीत।।१६।।
धन्य धन्य जीवन सफल, कृष्ण साथ व्रजवास।
धन्य भूमि लखि भारती , राधा कृष्ण विलास।। १७।।
सुखद शान्ति खुशियाँ सकल, होली रंग बयार।
राधा मोहन भज मनसि , फागुन मास बहार।।१८।।
कवि निकुंज अभिलाष मन,राधा कृष्ण ललाम।
हो दर्शन होली मिलन , राधा प्रिय घनश्याम।।१९।।
कवि✍️डॉ.राम कुमार झा "निकुंज"
रचनाः मौलिक (स्वरचित)
नई दिल्ली
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