*गीत*(होली)
दे मजबूती संबंधों को,
होली का त्यौहार निराला।
मित्र-भाव के रंग सभी मिल-
बनते अमृत का मधु प्याला।।
नीले - पीले - हरे - गुलाबी,
होते एक सभी घुल मिलकर।
बच्चे - बूढ़े - युवा सभी जन,
रहते रंगों से तरोबतर ।
अबीर-गुलाल पुते सभी मुख-
लगें प्रेम की अद्भुत शाला।।
बनते अमृत का मधु प्याला।।
होली का हुड़दंग सुहाना,
फगुवा -जोगीरा-गीत मधुर।
बजा मँजीरा-ढोल नाच हो,
लगता कष्ट हो गए क़ाफुर।
गले लगा कर झूमे सब जन-
प्रेम-रंग सबको रँग डाला।।
बनते अमृत का मधु प्याला।।
चेहरे पुते विविध रंग में,
देते हैं संदेश प्यार का।
मित्र-भाव की सीख ये देते,
चित्त मिलनसार व्यवहार का।
ये सब आपस में हैं लगते-
विविध पुष्प की सुंदर माला।।
बनते अमृत का मधु प्याला।।
मस्ती का मधुमास महीना,
भरता है उत्साह जनों में।
पुष्प-गंध - मकरंद हेतु ही,
भ्रमर हैं आते उपवनों में।
बहे वसंती पवन सुगंधित-
लेकर मस्त स्वाद की हाला।।
बनते अमृत का मधु प्याला।।
©डॉ0हरि नाथ मिश्र
9919446372
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