*पहला*-2
*पहला अध्याय*(श्रीकृष्णचरितबखान)-2
बंदउँ मुनिवर बेदब्यासा।
लिखा भागवत ग्यान-प्रकासा।।
सुमिरउँ सुचिमन ऋषि सुकदेवा।
कथा क सार परिच्छित लेवा।।
सौनक-सूतहिं करूँ प्रनामा।
पुनि-पुनि सुमिरउँ तिन्हकर नामा।।
करउँ प्रनाम जसोमति मैया।
बाबा नंद, गाँव अरु गैया।।
गोपिन्ह,ग्वाला,सखा सुदामा।
प्रनमहुँ बलदाऊ बलधामा।।
बिटप कदंब-कलिंदी-तीरा।
बंसी-तान हरै जग-पीरा।।
गिरि गोबरधन अरु ब्रजबासी।
बाल-बृद्ध-जोगी-संन्यासी।।
कंस औरु सिसुपाल समेता।
दानव-दैत्य-असुर अरु प्रेता।।
जिन्हके कारन भे अवतारा।
लीला कीन्ह कृष्न जग सारा।
सुधि मैं करउँ सबहिं चितलाई।
भजि गोपाल-कृष्न-जदुराई।।
करउँ बंदना रुक्मिनि रानी।
राधा नाम सकल गुन-खानी।।
दोहा-सुमिरउँ मैं जदुबंस-कुल,जहँ प्रभु कै अवतार।
बंदउँ माता-पितुहिं मैं, देवकि-बसु उर धार।।
डॉ0हरि नाथ मिश्र
9919446372
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