डॉ0 हरि नाथ मिश्र

*वृक्ष*
        दोहे(पादप)
पादप की महिमा अकथ,यह धरती का प्राण।
औषधि एक अमोघ यह,करता जन-कल्याण।।

पत्र-पुष्प-फल-स्रोत तरु,करे शुद्ध जलवायु।
इसकी रक्षा से बढ़े, जीव-जंतु की आयु।।

हरियाली ही विटप की,देती हर्ष अपार।
पथिक बैठ तरु-छाँव में,पाता सुख-संसार।।

पादप ठौर-ठिकान है,नभचर-रुचिर निवास।
मधुर कंठ खग-गीत कर,सुखमय चित्त उदास।।

पत्र-पुष्प-फल,जड़-तना,पादप का हर अंश।
हैं जीवन-आधार ये,नष्ट न हों तरु-वंश ।।

प्रकृति अतुल निधि वृक्ष ये,महि-शोभा की खान।
वृक्षारोपण कर्म शुचि,मानव-धर्म महान ।।

करें प्रतिज्ञा एक ही,तरु-रक्षा-अभियान।
पादप-सेवा से मिले,भव-सुख अमिट निधान।।
           ©डॉ0हरि नाथ मिश्र
               9919 44 63 72

*कुण्डलिया*
जपते रह प्रभु राम को,करें विष्णु-शिव जाप,
इसी मंत्र से मीत सुन ,कटे  सकल भव-ताप।
कटे सकल भव-ताप,मिलें खुशियाँ भी सारी,
संकट - मोचक  राम, नाम की महिमा  भारी।
कहें मिसिर हरिनाथ,  काम सब बिगड़े बनते,
घटे सदा अघ-पाप,  राम  को  जपते-जपते ।।
             ©डॉ0हरि नाथ मिश्र
                 9919446372

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