सजल
मात्रा-भार--14
समांत---आली
पदांत-----है
यद्यपि सूरत काली है,
दिखती किंतु निराली है।।
नहीं देखना मुखड़े को,
गोरा दिल का खाली है।।
पुष्प देखकर मन कहता,
कविता बनने वाली है।।
मिलें न उत्तर प्रश्नों के,
दुनिया मात्र सवाली है।।
उचित सोच का लोप हुआ,
लगता जग कंगाली है।।
नहीं भरोसा उसका जो,
होता सदा पिचाली है।।
मिले गले जो बोल मधुर,
समझो वही बवाली है।।
©डॉ0हरि नाथ मिश्र
9919446372
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