डॉ0 हरि नाथ मिश्र

*दोहे*
करें सदा निज कर्म को, लेकर  रघुपति-नाम।
मिले सफलता भी तभी,जब श्रम हो अविराम।।

रघुकुल-नायक राम जी, मर्यादा  के  धाम।
जपें  मंत्र  प्रभु-नाम का, सुधरें  सारे काम।।

सैनिक गौरव देश के, उनका  हो  सम्मान।
राष्ट्र-सुरक्षा  वे  करें, बढ़े  देश  की  शान।।

नीर-क्षीर-अंतर करे, पक्षी  मात्र  मराल।
यदि विवेक ऐसा रहे, जन्मे  नहीं सवाल।।

जन-मानस-सम्मान ही, लोकतंत्र-आधार।
जनता के ही मतों से,बनती  है  सरकार।।

संकट में ही साथ दे, सादा- उच्च  विचार।
धीरज और विवेक तब,हरते सकल विकार।।

अकड़ कभी न दिखाइए,करती अकड़ विनाश।
जो विनम्र हो कर जिए, रहे न कभी  निराश।।
                ©डॉ0हरि नाथ मिश्र
                    9919446372

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