*दोहे*
करें सदा निज कर्म को, लेकर रघुपति-नाम।
मिले सफलता भी तभी,जब श्रम हो अविराम।।
रघुकुल-नायक राम जी, मर्यादा के धाम।
जपें मंत्र प्रभु-नाम का, सुधरें सारे काम।।
सैनिक गौरव देश के, उनका हो सम्मान।
राष्ट्र-सुरक्षा वे करें, बढ़े देश की शान।।
नीर-क्षीर-अंतर करे, पक्षी मात्र मराल।
यदि विवेक ऐसा रहे, जन्मे नहीं सवाल।।
जन-मानस-सम्मान ही, लोकतंत्र-आधार।
जनता के ही मतों से,बनती है सरकार।।
संकट में ही साथ दे, सादा- उच्च विचार।
धीरज और विवेक तब,हरते सकल विकार।।
अकड़ कभी न दिखाइए,करती अकड़ विनाश।
जो विनम्र हो कर जिए, रहे न कभी निराश।।
©डॉ0हरि नाथ मिश्र
9919446372
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